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लाहौल स्पीति के अधिकतर हिस्से हर सर्दियों की तरह इस बार भी देश से कटे हुए हैं पर इस बार का नया साल यहां के लोगों के लिए कुछ अलग है। पहले अक्सर रोहतांग दर्रा 15 अक्टूबर के बाद आधिकारिक तौर से वाहनों की आवाजाही लिए बंद हो जाया करता था।
उसके बाद बीआरओ के लोग भी अगले मार्च माह तक इन रास्तों को खोलने की जरूरत महसूस नहीं करते थे इस बार ऐसा नहीं है। अटल टनल रोहतांग के खुलने के बाद से यहां लगातार काफी संख्या में पयर्टक पहुंच रहे हैं। इससे प्रदेश के पर्यटन को तो फायदा हो रहा है पर यहां के लोगों की शिकायतें अभी भी सरकार से बनी हुई हैं।
लाहौल स्पीति में इन दिनों हर तरफ सफेदी नजर आ रही है। बर्फ की सफेदी। पेड़ों पर, घरों की छतों पर, सड़कों पर और खेतों पर। कुछ इलाकों में तापमान -20 भी पहुंच जाता है। यहां इस साल हजारों की संख्या में पर्यटकों के वाहन पहुंचे। खाने-पीने की चीजों की उपलब्धता कम होने के बावजूद पर्यटक हाल ही में ताज़ा हुई बर्फबारी का खूब आनंद ले रहे हैं।
पर्यटकों को यहां की प्राकृतिक सुंदरता और रोहतांग टनल के साउथ और नॉर्थ पोर्टल के छोर लुभा रहे हैं। लाहौल है ही खूबसूरत। एक तरफ घने जंगल और पहाड़, टनल के दूसरी ओर बर्फ से लकदक ऊंचे-ऊंचे पहाड़ व चारों तरफ सफेद चादर से ढकी घाटियां। यहां पहुंचने पर पर्यटकों को लगता है कि वे भारत में नहीं बल्कि स्विटजरलैंड में पहुंच गए हैं। पर यहां के लोगों की मानें तो यहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।
रोहतांग टनल से केलांग तक न तो कोई सार्वजनिक शौचालय है,न ही गारबेज मैनेजमेंट। वहीं हर रोज़ हजारों की संख्या में गाड़ियों की आवाजाही होती है, पर्यटक कूड़े कचरे को सड़कों के किनारों या बर्फ में कहीं भी फेंक जाते हैं। लाहौल स्पीति में सितंबर में गर्मियों की फसल कट जाती है, उसके बाद कभी भी बर्फबारी हो सकती है, इसे देखते हुए वहां के स्थानीय लोग खेतीबाड़ी का रिस्क नहीं उठाना चाहते।
सिस्सु गांव की प्रधान सुमन ने बताया कि सितंबर आते ही लोग सर्दियों के लिए राशन, कपड़ा और जलाने के लिए लकड़ियों का स्टॉक जमा करना शुरू कर देते हैं। ये स्टॉक ही अगले 6 महीने के लिए यहां के लोगों का सहारा होता है।
यह आदत या परंपरा लोगों की कई सालों से बनी है पर अब अटल टनल देश से जुड़ गई है पर सामान के भंडारण की आदत एकदम से लोगों की छूटेगी नहीं। सिस्सु से प्रेम लाल की ओर से दी जानकारी पर आधारित
बर्फ से ढके खेत, कुछ ही पॉली हाउस
आज से मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बारिश-बर्फबारी की संभावना
शिमला. प्रदेश में आज मौसम मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अपना असर दिखाएगा। इस दौरान शिमला, कुल्लू, सोलन और सिरमौर के कुछ क्षेत्रों में बारिशऔर बर्फबारी होने का पूर्वानुमान जारी किया गया है। इसके बाद 3 जनवरी से प्रदेश के मध्यम और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मौसम अपना असर दिखाएगा।
इस बीच जहां पहाड़ों पर ताजा बर्फबारी होगी वहीं मैदानी क्षेत्रों में कहीं-कहीं पर हल्की बारिश होने की संभावना जताई गई है। 4 जनवरी से पूरे प्रदेश में मौसम विभाग ने बारिश और बर्फबारी का पूर्वानुमान जारी किया है। 4 और 5 जनवरी को मैदानी क्षेत्रों में भारी बारिश और ओलावृष्टि होने की चेतावनी भी जारी की गई है।
बर्फबारी को लेकर जारी किए गए पूर्वानुमान को लेकर प्रदेश घूमने आए पर्यटकों के लिए बहुत बड़ी खबर मानी जा रही है। शिमला का अधिकतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया है। सुंदरनगर का 19 और भुंतर का 18 डिग्री सेल्सियस अधिकतम तापमान रिकॉर्ड किया गया है। हालांकि रात का तापमान अभी भी कई जगह पर जमाव बिंदु पर और उसे नीचे चल रहा है।
दिल्ली में सर्दी का 15 साल का रिकॉर्ड टूटा, 1.10 तक लुढ़का पारा
नई दिल्ली. नए साल के स्वागत और जश्न के बीच राजधानी दिल्ली में ठंड ने पिछले 15 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। दिल्ली के लोगों को साल के पहले दिन जबरदस्त ठंड और कोहरे का सामना करना पड़ा। दिल्ली में तापमान 1.1 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया। ये पिछले 15 साल में सबसे कम है। इससे पहले आठ जनवरी 2006 को शहर में न्यूनतम तापमान 0.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।
पिछले साल जनवरी में न्यूनतम तापमान 2.4 डिग्री सेल्सियस रहा था। माैसम विभाग (आईएमडी) ने शनिवार तक शीत लहर के अासार बने रहने का अनुमान जताया है। राजधानी और आसपास के कई इलाकों में सुबह घना कोहरा भी छाया रहा।
कुछ इलाकों में कोहरे के कारण कुछ ही दूरी पर देख पाना कठिन हाे गया। आईएमडी के कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि सफदरजंग और पालम में सुबह 6 बजे घने कोहरे के कारण दृश्यता शून्य हो गई। इससे यातायात की रफ्तार भी प्रभावित हुई।
इन 6 महीनों में कैसे बिताते हैं लोग समय
सिस्सु गांव की प्रधान सुमन ने बताया कि यहां की औरत इन 6 महीनों में ऊन की कटाई, चटाई बनाकर, ऊन के स्वेटर और छोटे हथकरघा उद्योग चलाती हैं, इससे समय तो कटता ही है, ये आमदनी का जरिया भी बनता है।
वर्तमान स्थिति
6 महीने का स्टॉक
लाहौल के गांवों के लोग जलाने के लिए लकड़ी, घास का स्टॉक ऐसे जमा कर रखते हैं।
स्वास्थ्य सुविधाओं का न होना है बड़ी चिंता
सिस्सु गांव की प्रधान सुमन ने बताया कि इस जनजातीय जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति चिंताजनक है। खासकर स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं। केलांग में जब से अस्पताल की स्थापना हुई है तब से अब तक प्रदेश सरकार ने विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति नहीं की है।
वहीं डीसी का कहना, जिले में नहीं कहीं भी किसी तरह की कोई कमी
वहीं लाहौल स्पिति के डीसी पंकज राय का कहना है कि जिले के सभी गांव सड़क सुविधाओं से जुड़े हुए हैं, शौचालयों की भी कहीं कोई समस्या नहीं हैं। स्वास्थ्य संस्थानों में किसी तरह की कोई कमी नहीं है।
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