हिमाचल में 1134 करोड़ रुपए के हॉर्टिकल्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (HDP) को एक साल की एक्सटेंशन मांगी जाएगी। इससे पहले विश्व बैंक की टीम 22 दिसंबर को प्रदेश दौरे पर आ रही है। यहां पर विश्व बैंक के अधिकारी HDP प्रोजेक्ट को रिव्यू करेंगे। जरूरी हुआ तो फील्ड विजिट भी कर सकते हैं।
गौरतलब है कि विश्व बैंक ने प्रदेश में बागवानी के लिए HDP प्रोजेक्ट को मंजूर कर रखा है। यह प्रोजेक्ट 2017 में मंजूर किया गया और जून 2023 तक इसकी अवधि है। मगर, शुरू के ढाई साल तक मंत्री और प्रोजेक्ट डायरेक्टर के बीच विवाद की वजह से यह प्रोजेक्ट संकट में आ गया था।
तब विश्व बैंक ने इस प्रोजेक्ट को विड्रा करने की चेतावनी दे दी थी, क्योंकि 2020 तक HDP प्रोजेक्ट के तहत 3 सालों में 25 फीसदी बजट भी खर्च नहीं हो पाया था। उस दौरान पूर्व मुख्य सचिव अनिल खांची ने विश्व बैंक को भरोसा दिलाया कि प्रदेश इस प्रोजेक्ट में अच्छा काम करेगा। इसके बाद HDP प्रोजेक्ट में काम करने वाली टीम को टारगेट दिए गए और अब धरातल पर इसका असर दिखने लगा है।
70% बजट खर्च: मोक्टा
प्रोजेक्ट डॉयरेक्टर (IAS) सुदेश कुमार मोक्टा ने बताया कि 31 दिसंबर तक इस प्रोजेक्ट का लगभग 70 फीसदी बजट खर्च कर लिया जाएगा, जो प्रोजेक्ट की एक्सटेंशन के लिए जरूरी था। शेष 30 फीसदी बजट खर्च करने के लिए विश्व बैंक से एक साल की एक्सटेंशन मांगी जाएगी।
इस प्रोजेक्ट के तहत की जा रहीं यह गतिविधियां
HDP प्रोजेक्ट के तहत ज्यादा ध्यान सेब की खेती पर फोकस किया गया है। प्रोजेक्ट के कार्यान्वयन के लिए कलस्टर बनाए गए हैं। इन कलस्टर में सेब की हाई डेन्सिटी प्लांटेशन के अलावा सोलर फेंसिंग, ड्रिप-इरिगेशन, उन्नत किस्म का प्लाटिंग मैटेरियल बागवानों को दिया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट का मकसद उत्पादन को दोगुना कर बागवानों की आय को दोगुना करना है।
5 सालों में 12 लाख से ज्यादा पौधे किए आयात
इसी मकसद से 2017 से 2022 तक अमेरिका और इटली से लगभग 12 लाख विभिन्न किस्मों के सेब के पौधे व रूट स्टॉक आयात किए गए। अब इन्हें प्रोपोगेट कर बागवानों को दिया जा रहा है। इस बार बागवानी विभाग ने लगभग 20 लाख पौधे और रूट स्टॉक बागवानों को देने का लक्ष्य रखा है।
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