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ठियोग पंचायत समिति के अध्यक्ष पद के लिए सदस्यों के बीच सरगर्मियां शुरू हो गई हैं। इस बार अध्यक्ष का पद अनुसूचित जाति महिला सदस्य के लिए आरक्षित है। समिति के कुल 22 वार्डों में से तीन वार्ड अजा महिला के लिए आरक्षित थे।
इनमें से घूंड वार्ड से नेहा, टियाली वार्ड से पूनम और बड़ोग वार्ड से यशोदा जीत कर आई हैं। आरक्षण के कारण इन तीनों में से ही किसी एक का अध्यक्ष बनना तय है। भाजपा इन तीनों सदस्यों के अलावा समिति में अपना बहुमत होने का दावा कर रही है। लेकिन ठियोग में भाजपा की गुटबाजी के चलते अध्यक्ष पद पर किसकी ताजपोशी होगी यह कहना कठिन है। ठियोग पंचायत समिति में इस बार 11 महिला और 11 पुरुष सदस्य जीते हैं। तीन अजा महिला व तीन अजा पुरुष सदस्यों के अलावा एक ओबीसी महिला, सात महिला और आठ अनारक्षित वार्डो से पुरुष सदस्य जीतकर आये हैं।
भाजपा 22 में से 16 सदस्यों पर अपनी विचारधारा से जुड़ा होने का दावा कर रही है। भाजपा के कई खेमों में बंटे होने के कारण सभी पक्षों में एकजुटता लाने और अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के पदों पर सहमति बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। यदि इसके लिए सभी गुट सहमत नहीं हुए और अध्यक्ष के पद के लिए खेमों के बीच खींचतान चली तो इसका लाभ कांग्रेस उठा सकती है। हालांकि कांग्रेस समिति में अपने बहुमत का दावा कर रही है। ठियोग पंचायत समिति के 5 वार्ड चौपाल विस क्षेत्र में आते हैं जबकि तीन वार्ड कुसुम्पटी विस क्षेत्र में आते है।
इसलिए जहां चौपाल के विधायक बलबीर वर्मा की भूमिका अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव में अहम रहने वाली है, वहीं कुसुम्पटी के विधायक अनिरुद्ध भी इसमें अपनी भूमिका निभा सकते हैं। ठियोग में भाजपा विचारधारा के कई गुटों के बताए जा रहे हैं।
भाजपा को अध्यक्ष पद पर कब्जे के लिए पूर्व विधायक राकेश वर्मा समर्थकों के अलावा अन्य सभी खेमों व चौपाल के विधायक बलबीर वर्मा के बीच सामंजस्य का बनना जरूरी है। उधर कांग्रेस भी सदस्यों से सम्पर्क साधते हुए सम्भावनाएं तलाश रही है। कांग्रेस समिति में अपना बहुमत होने का दावा कर रही है। इसके अलावा उसकी नजर भाजपा की फूट का लाभ पर भी टिकी है।
भाजपा की हालत कमजोर
बहरहाल सभी की निगाहें 3 फरवरी को होने वाली बैठक पर हैं जिस दिन अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव निश्चित किया गया है। आपसी गुटबाजी के कारण ठियोग नगर परिषद भाजपा के हाथ से निकलने के बाद अब उसकी नजर पंचायत समिति पर टिकी है। यदि यहां वही असफलता हाथ लगी तो ठियोग में भाजपा की हालत काफी कमजोर हो सकती है। राकेश वर्मा के बाद ठियोग में नेतृत्व संकट का सामना कर रही भाजपा में कई गुट सामने आ रहे हैं जिससे पार्टी को नगर निकाय व पंचायत चुनावों में भी नुकसान उठाना पड़ा है।
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