हिमाचल के जिला सिरमौर में मंगलवार को गुर्जर समुदाय ने अपनी मांगों को लेकर कालाअम्ब में एक महासम्मेलन किया। गुर्जर समाज कल्याण परिषद द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में हजारों की संख्या में गुर्जर समुदाय के लोगों ने भाग लिया। गुज्जर समुदाय के पदाधिकारियों ने गिरीपार को जनजातीय दर्जा देने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि गिरीपार क्षेत्र को जो जनजातीय का कोटा दिया गया है, उसे गुर्जर समुदाय के कोटे से अलग रखा जाए। इसमें हम उसी पार्टी को समर्थन करेंगे,जो हमारे हाथ में होगी।
गुज्जर समाज कल्याण परिषद के सदस्यों ने कहा कि जिला सिरमौर में हिंदू व मुस्लिम गुर्जर समुदाय के दस हजार की आबादी के लोग हैं। जिन्हें आजादी के समय से जनजाति (ST) का दर्जा मिला हुआ है। गुर्जर समुदाय खानाबदोश जाति है,जो अपने पशुओं के साथ जंगलों में जीवन में यापन करते है। उधर गिरीपार क्षेत्र में सवर्ण जाति के लोग हैं, जो सुविधा संपन्न लोग हैं। इस समुदाय के लोग IAS, HS, खनन कारोबार से जुड़े हुए हैं इनके जनजाति होने से गुर्जर समुदाय के परंपरागत जीवन शैली बाधित होगी।
हाटी समुदाय में हर प्रकार की सुविधा
गुज्जर समुदाय के लोगों का कहना है कि जनजाति का आरक्षण व रिक्तियां वर्तमान में 7.5 प्रतिशत है, जोकि वर्तमान ने 7.5 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकता। 4 लाख की आबादी इसी 7.5 कोटा शामिल हो जाएगी। जिससे गुर्जर समुदाय के लोगों की रोटी बंट जाएगी और उनके अधिकारों का हनन होगा। गुज्जर कल्याण परिषद ने कहा कि हाटी समुदाय में हर प्रकार की सुविधा है,वहां के लोग आर्थिक स्थिति से सही हैं। यहां तक कि साथ लगता जौनसार बाबर से भी गिरीपार उन्नत है। इसलिए गुर्जर समुदाय के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए।
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