हिमाचल प्रदेश में हर विधानसभा क्षेत्र की अपनी एक कहानी है। सोलन जिले की दून विधानसभा सीट का इतिहास बड़ा रोचक है। इस सीट पर विधायक बनने के बाद जो भी चुनाव हारा, वह फिर से नहीं जीत सका। बेशक यहां से राम प्रताप ठाकुर 3 बार और लज्जा राम चौधरी लगातार 4 विधानसभा चुनाव जीते, लेकिन जब हारे तो फिर से विधायक नहीं बन पाए।
अब देखना यह है कि कांग्रेस के राम कुमार चौधरी इस मिथक को तोड़ पाएंगे या नहीं। वे 2012 में चुनाव जीतकर इस सीट से विधायक बने। 2017 के विधानसभा चुनाव में इन्हें भाजपा के परमजीत सिंह पम्मी से हार का सामना करना पड़ा। अब इन दोनों में फिर से सीधा मुकाबला होता दिख रहा है। राम कुमार जीते तो इस मिथक को तोड़ पाएंगे, वरना यह आगे भी जारी रहेगा। राम कुमार इस सीट से 4 बार विधायक रहे लज्जाराम चौधरी के पुत्र हैं।
यह रहा इतिहास
दून सीट पर 1972 में कांग्रेस के लेखराम जीते। 1977 में कांग्रेस की टिकट पर लेखराम फिर से मैदान में थे, लेकिन निर्दलीय राम प्रताप से हार गए। इसके बाद राम प्रताप कांग्रेस में आ गए और 1982 व 1985 में चुनाव जीतने में भी कामयाब रहे। 1990 में राम प्रताप फिर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और लज्जाराम चौधरी से हार गए।
इसके बाद 1993 के विधानसभा चुनाव में लज्जा राम कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े और राम प्रताप निर्दलीय उतरे, लेकिन हार मिली। लज्जाराम दूसरी बार विधायक बने। 1998 और 2003 में भी लज्जा राम जीतकर विधायक बने। 2007 के चुनाव में लज्जाराम कांग्रेस की टिकट पर लड़े, लेकिन भाजपा की विनोद चंदेल से हार गए।
2012 के चुनाव में फिर विनोद चंदेल भाजपा की उम्मीदवार थीं, उन्हें कांग्रेस के राम कुमार से हार मिली। 2017 में विधायक राम कुमार भाजपा के परमजीत सिंह पम्मी से चुनाव हारे।
22 पहाड़ी पंचायतें, लेकिन दोनों उम्मीदवार मैदान से
दून विधानसभा सीट पहाड़ी और मैदानी क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां कुल 36 पंचायतें हैं, इसमें 22 पहाड़ी और 14 मैदानी क्षेत्र में आती हैं। इसके अलावा बद्दी नगर परिषद भी इस निर्वाचन क्षेत्र में आती है। यहां पर प्रवासी मजदूर और हरियाणा लॉबी के कारोबारी भी अहम रोल अदा करते हैं।
90 हजार से ज्यादा मतदाता
दून विधानसभा क्षेत्र में कुल 90,988 मतदाता हैं। 46,655 पुरुष और 44,329 महिला मतदाता हैं। वहीं 4 थर्ड जेंडर मतदाता भी हैं। अभी तक दून विधानसभा क्षेत्र में हुए विधानसभा चुनाव का औसत 70 से 78 फीसदी के बीच रहता है।
2 परिवारों का रहा वर्चस्व
इस सीट पर हमेशा से ही 2 परिवारों का वर्चस्व रहा है। पहले राम प्रताप 3 बार विधायक बने। एक बार उनकी पत्नी विनोद चंदेल भी विधायक बनी। इसी तरह चौधरी लज्जा राम खुद 4 बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे, जबकि एक बार उनके पुत्र राम कुमार भी विधानसभा चुनाव जीते।
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