हिमाचल विधानसभा चुनाव में मतदान के बाद प्रत्याशी जीत-हार के आंकड़ों का आकलन कर रहे हैं। सोलन जिला की बात करें तो इस बार के चुनाव में 2 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने कांग्रेस और भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टी को बराबरी की टक्कर दी है। अब नतीजे चाहे जो भी रहे, लेकिन इन दोनों सीटों पर अपने निजी रसूख के दम पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने मुकाबला रोचक बनाया। इतिहास देखें तो इन सीटों पर सिर्फ एक बार अर्की से हीरा सिंह पाल ही चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं।
अर्की सीट के चुनावी समीकरण
जिला अर्की सीट पर निर्दलीय राजेंद्र ठाकुर ने मुकाबला तिकोना बनाया। वे काफी समय पहले से ही चुनाव की तैयारियों में लगे थे। इस सीट पर कांग्रेस के निवर्तमान विधायक संजय अवस्थी और भाजपा के गोविंद राम शर्मा को बराबरी की टक्कर दी। इस सीट पर कुल 71457 मतदाताओं ने अपना वोट दिया। इसमें 35,414 पुरुषों के मुकाबले 36,042 महिलाओं ने वोट दिया है। इससे साफ है, कि यहां पर जीत की चाबी उन्हीं के हाथ में है। संजय अवस्थी पिछले साल हुए उप चुनाव में भाजपा के सत्ता में रहते जीते थे। जबकि भाजपा के उम्मीदवार गोविंद राम शर्मा 2007 और 2012 में चुनाव जीत कर विधायक बने।
इस सीट पर 1967 के चुनाव में हीरा सिंह पाल निर्दलीय चुनाव जीतकर विधायक बने थे। इस सीट पर 2007 के चुनाव में कांग्रेस ने 3 बार के विधायक धर्मपाल का टिकट काटा था। वे निर्दलीय चुनाव लड़े, लेकिन वे 15 हजार वोट का आंकड़ा नहीं छू पाए और हार का सामना करना पड़ा। इसी तरह 2012 के चुनाव में कांग्रेस के बागी अमर चंद पाल निर्दलीय उतरे, लेकिन उन्हें करीब 10 हजार वोट से ही संतोष करना पड़ा।
नालागढ़ में मुकाबला बना रोचक
नालागढ़ सीट पर भाजपा से बागी होकर निर्दलीय चुनावी समर में उतरे केएल ठाकुर ने मुकाबला रोचक बनाया है। वे आखिर तक मुकाबले में बने रहे। उनके चुनाव लड़ने से कांग्रेस और भाजपा के साथ मुकाबला तिकोना बना। केएल ठाकुर 2012 में इस सीट से भाजपा की टिकट पर चुनाव जीते थे। इस सीट पर चुनाव से ठीक पहले उठा-पटक हुई।
क्या इन सीटों पर बनेगा नया इतिहास?
निवर्तमान विधायक लखविंदर राणा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने टिकट भी उन्हें दिया। इस पर केएल ठाकुर निर्दलीय ही चुनावी मैदान में उतरे। चुनाव प्रचार में उन्होंने मुकाबले को बराबरी का बनाए रखा। कांग्रेस के प्रत्याशी बावा हरदीप सिंह पिछले विधानसभा चुनाव में निर्दलीय लड़ चुके हैं। उन्हें 2017 के चुनाव में करीब 13 हजार वोट मिले थे। 8 दिसंबर को मतगणना के साथ ही यह तय हो पाएगा कि क्या इन सीटों पर नया इतिहास बनता है।
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