हिमाचल के सोलन जिला की नालागढ़ विधानसभा सीट पर इस बार ऐसे समीकरण बने हैं कि तीन "कांग्रेसी" चुनावी समर में आमने-सामने हो रहे हैं। भाजपा ने हाल ही में कांग्रेस से आए लखविंदर राणा को उम्मीदवार बनाया है तो आम आदमी पार्टी ने भी कांग्रेसी रहे धर्मपाल चौहान को चुनाव में उतारा है। इसके साथ कांग्रेस के बावा हरदीप को मिला कर 3 हो गए। यह तीनों ही एक साथ कांग्रेस में रहे हैं।
भाजपा के केएल ठाकुर टिकट न मिलने पर अब बगावत कर निर्दलीय चुनाव में उतरने का ऐलान कर चुके हैं। ऐसे में इस सीट पर चुनाव दिलचस्प हो गया है।
लखविंदर राणा 2005 में कांग्रेस में शामिल हुए थे। इससे पहले वे भाजपा में थे। 2007 में कांग्रेस की टिकट पर विधानसभा चुनाव में उतरे, लेकिन जीत नही पाए। 2011 विधायक हरि नारायण सैनी के निधन के बाद हुए उप चुनाव में फिर कांग्रेस की टिकट पर उतरे और जितने में कामयाब रहे। 2012 के विधानसभा चुनाव में वे फिर से कांग्रेस के उम्मीदवार बंद कर उतरे, लेकिन यहां पर केएल ठाकुर से हार का सामना करना पड़ा। 2017 में राणा फिर कांग्रेस के उम्मीदवार थे और वे भाजपा के केएल ठाकुर को हराकर विधायक बने।
2017 में निर्दलीय चुनाव लड़ चुके है बावा हरदीप सिंह
आखिर कांग्रेस ने लंबे समय से टिकट के लिए कोशिश कर रहे बावा हरदीप सिंह को नालागढ़ से उम्मीदवार बनाया है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी वे पार्टी का टिकट मांग रहे थे, लेकिन टिकट न मिलने पर भी बगावत कर निर्दलीय चुनाव में उतरे। इसके बाद कांग्रेस में वापस लिए गए और चुनाव से पहले नालागढ़ क्षेत्र में सक्रिय हुए। उनकी सक्रियता के कारण ही लखविंदर राणा ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन की। इससे टिकट की लड़ाई में बावा का मैदान साफ हो गया।
धर्मपाल चौहान भी रह चुके कांग्रेसी
इसी तरह आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार बने धर्मपाल चौहान भी कांग्रेसी रहे हैं। वे 2015 से 2020 तक सोलन जिला परिषद के अध्यक्ष कांग्रेस समर्थित सदस्य के तौर पर ही रहे हैं। आम आदमी पार्टी के हिमाचल आने पर वे आम आदमी पार्टी में शामिल हुए। अब आप का टिकट लेकर चुनाव मैदान में हैं।
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