ऊना की 5 सीटों पर BJP-कांग्रेस में सीधी टक्कर:दिग्गजों को अपना गढ़ बचाने की चुनौती, जीत के लिए झोंकी पूरी ताकत

ऊना5 महीने पहले
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हिमाचल के ऊना जिले की 5 विधानसभा सीटों पर भाजपा व कांग्रेस में सीधा मुकाबला होता दिख रहा है। दोनों दलों के प्रत्याशियों ने अपनी अपनी जीत पुख्ता करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। सभी अपनी-अपनी जीत का का दावा कर रहे हैं। जहां भाजपा के लिए कुटलैहड़, गगरेट और ऊना सीट प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई हैं। वहीं, हरोली और ऊना में कांग्रेस की साख दांव पर है।

हॉट हरोली सीट पर कांग्रेस के दिग्गज एवं नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री को अपना गढ़ बचाने के साथ-साथ बड़ी जीत दर्ज करने की चुनौती है। जो कांग्रेस में सीएम के संभावित चेहरों में से हैं। इस दफा भी उनका भाजपा के प्रो. राम कुमार से ही सीधा मुकाबला है। चुनाव में राम कुमार बल्क ड्रग पार्क और 5 साल के विकास को ढाल बनाकर मुकेश को घेर रहे हैं। लेकिन उन्हें पार्टी में भीतरघात का भी डर है।

वहीं, मुकेश अग्निहोत्री हरोली से अपनी 5वीं जीत के साथ साथ हिमाचल में कांग्रेस को सत्ता में लाने का दंभ भर रहे हैं।

गगरेट से कांग्रेस के नए चेहरे चैतन्य
गगरेट सीट पर भाजपा के राजेश ठाकुर और कांग्रेस के चैतन्य शर्मा में चुनावी लड़ाई है। चैतन्य शर्मा कांग्रेस के नए चेहरे हैं। राजेश ठाकुर भाजपा राज के दौरान गगरेट में हुए विकास के बल पर कांग्रेस के चैतन्य शर्मा को घेर रहे हैं और अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं। लेकिन चैतन्य शर्मा भी कांग्रेस की गारंटियों के साथ-साथ अपने विजन से मतदाताओं को रिझाने में डटे हैं। जो राजेश ठाकुर की राह को मुश्किल कर रहे हैं।

बलबीर चौधरी को सुदर्शन बबलू ने घेरा
चिंतपूर्णी सीट पर भाजपा के बलबीर चौधरी को कांग्रेस के नए चेहरे सुदर्शन बबलू ने घेर रखा है। उन पर अपनी सीट को बचाने की चुनौती है। इसके लिए वह भाजपा राज में हुए विकास को ढाल बना रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के सुदर्शन बबलू पूर्व मंत्री कुलदीप कुमार के अधिकतर समर्थकों को प्रचार में साथ चलाने में कामयाब रहे हैं। फिर भी उन्हें अपनों से भीतरघात होने का अंदेशा है।

ऊना में सतपाल आमने-सामने
ऊना सीट पर कांग्रेस के सतपाल रायजादा और भाजपा के सतपाल सत्ती आमने-सामने हैं। दोनों पुराने प्रतिद्वंदी हैं। इस चुनाव में सतपाल सत्ती ने अपनी पिछली हार का बदला चुकता करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। वह 5 साल में हुए विकास के दम पर कांग्रेस के सतपाल रायजादा की दूसरी जीत में कांटे बिछा रहे हैं। जिससे सतपाल रायजादा को अपनी सीट बचाने की चुनौती है।

वीरेंद्र कंवर को दुर्ग बचाने की चुनौती
वहीं, कुटलैहड़ सीट पर भाजपा के दिग्गज एवं ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर को अपने अभेद दुर्ग को बचाने की चुनौती है। जिन्हें कांग्रेस के नए चेहरे देवेंद्र कुमार भुट्‌टो से कड़ी चुनौती मिल रही है। जो कभी उनके दाहिने बाजू हुआ करते थे। अब चुनाव में दोनों आमने सामने हैं। वीरेंद्र कंवर 4 बार के विधायक हैं, यह उनका लगातार 5वां चुनाव है।

लेकिन उनसे नाराज भाजपा के कई पुराने लोग कांग्रेस के देवेंद्र कुमार भुट्टो के साथ हो लिए हैं। दूसरी तरफ देवेंद्र कुमार भुट्टो को भी पार्टी में अंदरखाते भीतरघात होने का डर है। हालांकि गुरुवार को बसाल की जनसभा में नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री भीतरघातियों को पहले ही चेतावनी दे चुके हैं। उस पर भुट्‌टो कितना पार पाते हैं, ये देखना बाकी है।

3 बार हुआ था क्लीन स्वीप

इस जिले में 3 बार जनता ने एक तरफा जनादेश दिया है। 1972 में पहली बार कांग्रेस को 5 सीटों पर जीत मिली। इमरजेंसी के बाद 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर में जनता पार्टी ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की। 1985 में जिले की जनता ने फिर से एकतरफा जनादेश दिया। जिसमें कांग्रेस ने 5 सीटों पर कब्जा जमाया था। 1990 के चुनाव में भाजपा 4 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही। कांग्रेस को सिर्फ 1 सीट पर जीत मिली।

इसके बाद जिले में किसी राजनीतिक दल को एकतरफा जीत नहीं मिली है। कभी भाजपा के पक्ष में 3 तो कभी कांग्रेस के पक्ष में 3 का आंकड़ा रहा। पिछले चुनाव में भाजपा को 3 और कांग्रेस को 2 सीटों पर जीत मिली थी। इस चुनाव में किस राजनीतिक दल का पलड़ा भारी रहता है, इसका 8 दिसंबर को मतगणना के दिन ही पता चल सकेगा।

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