21वीं सदी में भी लोग अंधविश्वास में जी रहे हैं। अंधविश्वास के कारण शुक्रवार को कराईकेला थाना क्षेत्र लांडूपोदा पंचायत अंतर्गत डोंगासाई गांव निवासी 49 वर्षीय बोदरो के शव को गांव में अंतिम संस्कार नहीं करने दिया गया। ग्रामीणों की आपत्ति के बाद शव को चक्रधरपुर कुदरीबाड़ी स्थित श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया गया। पंचायत के मुखिया कुश पूर्ति ने बताया कि 22 सितंबर को बोदरो बोदरा दिन के 12 बजे रायबेरा स्थित तालाब में स्नान करने गया था।
नहाने के क्रम में डूबने से उसकी मौत हो गई, तालाब के किनारे बोदरो बोदरा का चप्पल, कपड़ा, साबून आदि सामग्री पड़ा था। ग्रामीण जब तालाब किनारे पहुंचे तो वहां बोदरो बोदरा का सामान दिखाई दिया, लेकिन वहां कोई भी नजर नहीं आया। तालाब किनारे बोदरो बोदरा के सामनों को देख परिजनों ने उसकी तलाश काफी देर तक किया। देर शाम लगभग साढ़े छह बजे उसकी शव को तालाब के अंदर देखा गया। इसके बाद कराईकेला पुलिस की मदद से शव को तालाब से बाहर निकाला गया।
शव को तालाब से बाहर आते ही ग्रामीणों में अंधविश्वास से जुड़ी नाना प्रकार की चर्चा होना शुरु हो गया। परिजनों द्वारा गांव में बोदरो बोदरा की अंतिम संस्कार करने की तैयारी करने लगे। इस दौरान ग्रामीणों ने गांव में अंतिम संस्कार करने का विरोध किया। ग्रामीणों का मानना है कि बोदरो बोदरा का मौत भूत प्रेत से जुड़ा मामला है। गांव में इसका अंतिम संस्कार करने से ग्रामीणों को खतरा हो सकता है। इधर, शुक्रवार को मुखिया कुश पूर्ति के सहयोग से बोदरो बोदरा के शव का चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल में अंत्यपरीक्षण कर कुदलीबाड़ी शमशान घाट में अंतिम संस्कार किया गया।
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