एसएसपी प्रभात कुमार ने जिले में पेंडिंग केसों को खत्म करने के लिए विशेष अनुसंधान एवं अभियोजन शाखा (एसआईपीयू) का गठन किया है। टीम में जिले के सभी 40 थानों (ओपी छोड़कर) से एक-एक एसआई को टीम में शामिल किया गया है। टीम के सदस्य दुष्कर्म, हत्या व पॉक्सो एक्ट के पेंडिंग मामलों पर त्वरित अनुसंधान करेंगे। टीम का नोडल पदाधिकारी डीएसपी (हेड क्वार्टर-2) कमल किशोर को बनाया गया है। सिटी एसपी के. विजय शंकर इसकी मॉनिटरिंग करेंगे। मंगलवार को एसएसपी कार्यालय में बैठक कर सभी को विस्तार से उनके कार्य की जानकारी दी जाएगी। बैठक में सभी डीएसपी, नोडल पदाधिकारी व सिटी एसपी शामिल होंगे।
जिला में पिछले 4-5 साल से पेंडिंग 3000 केस की लिस्ट तैयार की गई है। एसआईपीयू में शामिल एसआई को उनके थाने में पेंडिंग केस ही अनुसंधान के लिए दिए जाएंगे। इस कार्य के लिए उन्हें थाने के पेट्रोलिंग समेत ओडी पदाधिकारी के कार्य से मुक्त रखा जाएगा। तीन माह के अंदर कम से कम 1500 पेंडिंग केस का अनुसंधान खत्म कर कोर्ट को रिपोर्ट भेजने का टारगेट दिया गया है। बढ़िया काम करने वाले सदस्यों को रिवॉर्ड मिलेगा।
पहले चरण में पेंडिंग कोर्ट कंपलेन पर एफआईआर
केस खत्म करने के लिए पहले चरण में कोर्ट के शिकायतवाद के आधार पर जिले में कुल 239 पेंडिंग मामलों में एफआईआर दर्ज किया गया है। कोर्ट से जिला पुलिस को शिकायतवाद के पेंडिंग रहने का पत्र मिला था, जिसके आधार पर सोमवार तक सभी शिकायतवाद पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। साथ ही कोर्ट में कई मामले ऐसे हैं, जिसमें चार्जशीट दाखिल नहीं हुई है। ऐसे मामले में एक महीने के अंदर चार्जशीट दाखिल करने का निर्देश एसएसपी ने दिया है।
"जिले में पेंडिंग मामलों का बोझ कम करने के लिए एसआईपीयू का गठन किया गया है। 40 एसआई की टीम तीन माह में पेंडिंग तीन हजार मामलों में से आधे का अनुसंधान खत्म करेगी। प्रत्येक थाना से एक-एक पदाधिकारी को लिया गया है। डीएसपी को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है।"
- प्रभात कुमार, एसएसपी जमशेदपुर
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