15 सितंबर को झारखंड सरकार के कैबिनेट में स्थानीय नीति पर फैसला, ओबीसी के आरक्षण एवं सेविका-सहायिका मानदेय बढ़ाने का फैसला लेने पर झारखंड बचाओ मोर्चा की ओर से बधाई दी गई है। स्थानीय नीति के झारखंड सरकार के फैसले पर कुछ राजनीतिज्ञ द्वारा विवाद पैदा करना दुर्भाग्यपूर्ण है। झारखंड की स्थानीय नीति का निर्धारण अंतिम सर्विस सेटलमेंट को आधार माना जाना चाहिए। किसी भी नेता द्वारा आदिवासी मूलवासी को गुमराह करने की जरूरत नहीं है। अगर मुख्यमंत्री द्वारा 1932 के खतियान को आधार बनाकर स्थानीय नीति बनाने की बात कही गई है तो कोल्हान का सर्वे सेटलमेंट 1908-1914 में हुआ था। जिसके पास भी 1964 का खतियान होगा उनका खतियान 1908-1914 का भी खतियान रिकॉर्ड रूम में होगा।
ऐसा नेता जो 1932 के खतियान आधारित नीति पर विवाद पैदा कर रहे हैं, वह नेता अपने इर्द-गिर्द घूमने वाले चमचों को झारखंड में स्थाई नागरिक बनाना चाहते हैं। 45 लाख लोगों का भय दिखाकर अपने बाहरी साथियों को झारखंडी बनाना चाहते हैं। झारखंड बचाओ मोर्चा के आंदोलन में पेशा कानून, पांचवीं अनुसूची का अनुपालन, भाषा नीति एवं नियोजन नीति की मांग की गई है। जब तक यह सभी मांगे पूरी नहीं हो जाती है आंदोलन जारी रहेगा। बैठक में चित्रसेन सिंकू पूर्व सांसद, आसमान सुंडी, उमेश गुप्ता, महेंद्र जामुदा, हरुण केरकेट्टा, ब्रजकिशोर सिंकू, गुलशन सुंडी आदि उपस्थित थे।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.