बसंत पंचमी के दिन बाबा के तिलकोत्सव को लेकर पूरी बाबा नगरी बाबा के तिलकहरूवों से पट गई है। पूरा शहर मिथिला नगरी के रंग में रंग गया है। हर तरफ फगुआ के गीत एवं सीताराम के भजन गाए जा रहे हैं। शहर के सभी सरकारी स्कूल खाली जमीन सहित अन्य जगहों में बाबा के तिलकहरूओं मिथिला वासियों का डेरा जमा हुआ है। बाबा की भक्ति में लीन सभी लोग बसंत पंचमी का इंतजार कर रहे हैं।
बसंत पंचमी के दिन मिथिला वासियों के द्वारा बाबा बैद्यनाथ का तिलक करने के पश्चात एक दूसरे को अबीर लगाकर होली खेलते हैं और उसी दिन से मिथिला में होली की शुरुआत होती है। वही बसंत पंचमी से ही फगुआ के गीत गाये जाने लगते हैं।बसंत पंचमी मेला को लेकर बाबा नगरी की छटा देखते ही बन रही है।
पूरी की पूरी बाबा नगरी मिथिलामय हो गई है। गुरुवार बसंत पंचमी के दिन बाबा बैद्यनाथ का तिलकोत्सव किया जाएगा और इसके बाद महाशिवरात्रि के दिन शिव पार्वती का विवाह संपन्न कराया जाएगा। बसंत पंचमी को लेकर पूरा शहर श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया है। वहीं श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री खुद सभी जगहों का निरीक्षण कर तिलकहरुओं से बात करते हुए उनको हर सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दे रहे हैं।
मंदिर में जलार्पण के लिए श्रद्धालुओं की सुविधा का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। सभी को कतारबद्ध तरीके से जलार्पण कराया जा रहा है। गुरुवार शाम को लक्ष्मी नारायण मंदिर के बरामदे पर बाबा बैद्यनाथ का तिलकोत्सव करते हुए आम का मंजर मालपुआ का भोग नया वस्त्र आदि के साथ बाबा का तिलक किया जाएगा।
इसके पश्चात बाबा के शिवलिंग पर शृंगार पूजा के पूर्व अबीर चढ़ाते हुए तिलक की रस्म पूरी की जाएगी। बसंत पंचमी में मिथिला के लोग बाबा के तिलक के लिए पहुंचते हैं। मिथिला नगरी के लोग अपने आपको माता पार्वती का भाई मानते हुए पूरे मस्त मिजाज के साथ झूमते नाचते हुए बाबा के तिलक के लिए बाबा नगरी पहुंचते हैं।
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