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गिरिडीह एसडीएम प्रेरणा दीक्षित को धमकी मामले में पुलिस ने चुप्पी साध रखी है। एफआईआर के दो दिन बाद भी गिरफ्तारी तो दूर कुछ बोलने से भी पुलिस बचना चाह रही है। नगर थाना प्रभारी आरएन चौधरी तो एफआईआर की जानकारी तक से इंकार कर रहे हैं। जबकि दूसरी और एसडीएम को हिटलर बता ट्रैक्टर के नीचे रगड़ देने की धमकी देने वाले भाजपा विधायक दल के नेता बाबुलाल मरांडी के भाई नुनूलाल मरांडी खुले आम शहर में घुम रहे हैं। साेमवार को भाजपा के पूर्व विधायक निर्भय शाहाबादी के आवास पर पार्टी की प्रेस वार्ता में भी शामिल हुए। जबकि ऐसे मामले में पुलिस आम आदमी की धरपकड़ एफाआईआर के बाद ही शुरू कर देती है। मामला हाई प्रोफाइल होने के चलते राजनीतिक दलों ने भी चुप रहना ही बेहतर समझा है।
बीते शुक्रवार को किसानों को एमएसपी नहीं देने के मुद्दे पर भाजपा ने हेमंत सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। नुनूलाल मरांडी ने एक बयान में नुनुलाल मरांडी ने बालू उठाव मामले पर एसडीएम प्रेरणा दीक्षित के खिलाफ बयान दिया था। जिसमें कहा था कि एसडीएम हिटलर हो गई है। आठ दिसंबर को बालू उठाव पर रोक के खिलाफ भाजपा प्रदर्शन करने वाली है। दम है तो एसडीएम ट्रैक्टर रोक के दिखाए। उसे ट्रैक्टर के नीचे रगड़ देंगे। मरांडी के बयान का वीडियो वायरल हुआ तो भाजपा में ही नुनुलाल के बयान की निंदा होने लगी। जिसके बाद नुनुलाल ने बयान से यू-टर्न लिया और मीडिया पर ही बयान को तोड़ मरोड़ कर ही दिखाने का आरोप मढ़ दिया। दूसरी ओर मामले को निबटाने के लिए नुनुलाल ने एसडीएम से भी बात की। लेकिन बात नहीं बनी। बयान के तीसरे दिन रविवार को नगर थाना में एसडीएम गोपनीय के सहायक संजीत ठाकुर के बयान पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गई।
नुनूलाल पर धमकी देने और सरकारी कार्य में बाधा डालने का आरोप
एसडीओ गोपनीय के सहायक संजीत ठाकुर के बयान पर प्राथमिकी दर्ज हुई। नगर थान कांड संख्या 235/2020 में नुनुलाल मरांडी को अभियुक्त बनाया गया है। जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 186, 189, 500, 506 और धारा 353 के तहत मामला दर्ज किया गया। यह जानकारी नगर थाना से मिली। प्राथमिकी रविवार को दर्ज की गई है। आईपीसी की धारा 186 के मुताबिक किसी लोकसेवक को सार्वजनिक कार्य को करने से बल पूर्वक रोकने में बाधा डालना है। धारा 189 के मुताबिक लोक सेवक को क्षति की धमकी देने, धारा 500 के मुताबिक मान हानि करने। धारा 506 के मुताबिक धमकी देना। इसमें सात साल जेल की सजा हो सकती है। लोक सेवक को कर्तव्य निर्वहण से रोकने के लिए भय दिखाना। इस धारा में दो वर्ष तक की सजा या जुर्माना का प्रावधान है।
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