धनबाद के आशीर्वाद अपार्टमेंट में आग लगने से 14 लोगों की मौत हो गई। कई घायल अब भी अस्पताल में भर्ती हैं। किसी का परिवार खत्म हो गया तो किसी का आशियाना उजड़ गया। हादसे के वक्त अंदर के क्या हालात थे, ये जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम आशीर्वाद अपार्टमेंट के अंदर पहुंची। यहां घरों से अब भी लाशों की बदबू आ रही थी। सीढ़ियों पर लोगों के सामान बिखरे हुए थे।
अपार्टमेंट में घुसते ही अंदर के हालात देखकर सबसे पहले हमारे मन में ये सवाल आया कि जिसने भी इस अपार्टमेंट का नाम रखा होगा, कितना सोच कर रखा होगा। आज यही अपार्टमेंट यहां के रहने वालों के लिए अभिशाप बन गया है।
अपार्टमेंट की B विंग को बंद रखा गया है। लोगों का आना-जाना पूरी तरह बंद है। A विंग को खोल दिया गया है। फ्लैट में रहने वाले लोगों के अलावा दूसरे लोगों को शर्तों के साथ जाने दिया जा रहा है। हमने भी विशेष अनुरोध कर अपार्टमेंट की B विंग में प्रवेश किया। अंदर का मंजर हिला देने वाला था। एक-एक चीज हादसे की पूरी कहानी बयां कर रही थी।
सब कुछ समेटने की चाहत में छूट गया सब कुछ
हम जैसे-जैसे सीढ़ियां चढ़ रहे थे, वैसे-वैसे इस घटना की भयानक तस्वीर और उस वक्त का मंजर आंखों के सामने साफ हो रहा था। पहला फ्लोर लगभग ठीक था, लेकिन यहां भी फर्श पर कुछ काले धब्बे थे। सीढ़ियों पर लोगों के पैर के निशान, जो बता रहे थे यहां से निकलने की कोशिश में कितने बदहवास होंगे उस वक्त, जब आग लगने के बाद जान बचाने के लिए इन रास्ते से भागे होंगे।
दूसरे फ्लोर तक पहुंचे, तो सामने जो कुछ दिखता है वह भयावह था। सीढ़ियों पर कांच के टुकड़े बिखरे थे, भागने की कोशिश में इधर-उधर छूट चुकी चप्पलें, दो-चार कपड़ों से भरा बैग, उस वक्त के हालात की तस्वीर हमारे सामने उकेर रहा था। सब कुछ बिखरा देखकर साफ समझ आ रहा था कि अपना सब कुछ बचाने की कोशिश में लोगों ने सब कुछ खो दिया।
बदबू ऐसी कि सांस लेना भी हुआ मुश्किल
दूसरे फ्लोर पर सीढ़ियों के दाहिने हाथ वाला फ्लैट वही है, जहां दीये की वजह से आग लगी और फैलती चली गई। सीढ़ियों पर चढ़ते हुए हम जैसे-जैसे आग बढ़ रहे थे, लाशों की बदबू आ रही थी। एक वक्त ऐसा था कि हम ठहर गए क्योंकि सांस लेना भी दुश्वार हो रहा था।
जिस फ्लैट में आग लगी, वहां अगर कुछ बचा था तो एक कमरे में लगा आधा जला पलंग और उस पर मोड़कर रखा हुआ मरून रंग का गद्दा। सारा घर अब भी धुएं की गहरी चादर लपेटे हुए था। साथ मौजूद लोगों ने बताया कि कभी उम्मीद ही नहीं थी कि इतनी बड़ी घटना हो जाएगी।
तीसरे फ्लोर पर दिखा मौत का तांडव
हम तीसरे फ्लोर की ओर से बढ़ रहे थे। हमारे साथ ऊपर के तल्ले पर चढ़ रहे लोगों के पैर की आवाज और मनहूस सी खामोशी...साथ आए व्यक्ति ने जब चुप्पी तोड़ी तो अहसास हुआ कि मौत के बाद की शांति कितनी खतरनाक होती है। साथ मौजूद व्यक्ति ने बताया ये वही सीढ़ियां और जगह हैं, जहां मौत तांडव कर रही थी।
कपड़ों से भरा बिखरा बैग, कुछ कपड़े, लोगों ने शायद गद्दे ढक कर बचने की कोशिश की होगी, तो अधजला गद्दा और एक स्ट्रेचर भी। लोगों ने बताया कि यहां आग की लपटें इतनी भयावह थी कि राहत बचाव कार्य में लगे लोगों ने भी हाथ खड़े कर दिए।
इसी फ्लोर में सीढ़ी के ठीक सामने वाला फ्लैट उस परिवार का है, जहां शादी थी। दरवाजे पर सुंदर सजे फूलों का तोरण द्वार पूरी तरह जलकर राख हो गया था। रंग-बिरंगे फूलों से सजा यह द्वार अब बिल्कुल वैसा ही हो गया, जैसी इस घर के लिए खुशियां। यहां कई ऐसी चीजें बिखरी हुई मिलती हैं, जो यह बताती हैं कि इस घर में खुशियां कितनी असीमित होंगी।
इसी फ्लोर का दूसरा फ्लैट भी पूरी तरह जल चुका है। चौथा तल्ला भी हमें उस वक्त के मंजर को समझा रहा था कि कैसे कोई दीवार के पीछे तो कोई किसी सामान का ओट लेकर खुद को बचाने की कोशिश कर रहा था। घरों के सामने किया गया साज-सज्जा सब बर्बाद हो चुका है। एक फ्लैट के दरवाजे के ऊपर लोगों ने विघ्नहर्ता गणेश को लगा रखा है, वो मूर्ति सुरक्षित है। वहीं दरवाजे पर लगी सजावट भी सुरक्षित है। इसके बाद से आग का प्रकोप कम होता गया है।
किसी को समझ ही नहीं आया कैसे बचें
B विंग के जिस हिस्से में आग का तांडव हुआ उस हिस्से के हर फ्लोर पर पानी की व्यवस्था थी। कुछ जानकारी का अभाव और कुछ जान बचाने की जद्दोजहद में सब कुछ धरा का धरा रह गया। लोहे की लाल पाइपों में अब भी पानी भरा हुआ है।
तीसरे फ्लोर में रहने वाली माधवी प्रसाद बताती हैं कि मैंने जैसे ही दरवाजा खोला, सामने लगा जैसे आग का गोला आ गया हो। बच्चों को लेकर सीधा छत की ओर भागी तो जान बच सकी। इसी तरह चौथे तल्ले के मंजीत बताते हैं कि घर में छोटे बच्चे थे। तत्काल तो कुछ समझ नहीं आया कि क्या किया जाए। फिर हिम्मत दिखाई और छत की ओर भागा।
अगर छत की तरफ भागते तो बच जाती जिंदगी
प्रभजोत, सुरजीत, मदन पाल ने बताया कि जिनके यहां शादी थी, वहां महिलाओं की संख्या अधिक थी। ऐसे में जब आग ने भयंकर रूप धरा तो सभी नीचे की ओर भागीं। अगर वे छत की ओर या ऊपर के फ्लोर में जाती तो शायद इतनी मौतें नहीं होती।
लोगों का अनुमान यह भी है कि शादी वाले घर में अधिकांश लोग बाहर से आए थे। ऐसे में उन्हें समझ भी नहीं आया होगा कि किस रास्ते को चुना जाए। फ्लैट में मुख्य सीढ़ी के अलावा एक वैकल्पिक सीढ़ी भी है। लोगों ने बताया कि अगर लोगों ने वैकल्पिक सीढ़ी भी ली होती तो जान बच सकती थी।
आशीर्वाद अपार्टमेंट के माथे लगे अभिशाप को अब 60 घंटे से ज्यादा हो रहे हैं। बाहर अब भी सुरक्षा बल तैनात हैं। लोग अब भी बिल्डिंग के बाहर अपनी घर वापसी का इंतजार कर रहे हैं। घर लौटने की चाहते के साथ-साथ उनके चेहरे पर डर भी साफ नजर आ रहा है।
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