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साॅलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत डाेर-टू-डाेर कचरा कलेक्शन का काम शुरू हाे चुका है। सभी 55 वार्डाें में कचरा कलेक्शन हाे रहा है, लेकिन अभी तक कचरा निष्पादन के लिए प्राेसेसिंग प्लांट का निर्माण नहीं हाे पाया है। अब निगम काे सिंदरी में प्राेसेसिंग प्लांट के लिए 20 एकड़ जमीन मिली है।
यह जमीन एफसीआई की है। एफसीआई प्रबंधन जमीन देने काे राजी भी हाे गया है, जिसकी पुष्टि साेमवार काे नगर आयुक्त सत्येंद्र कुमार ने की। उन्होंने कहा कि जमीन हस्तांतरण की प्रक्रिया पूर्ण हाेने के बाद ही प्राेसेसिंग प्लांट निर्माण का काम शुरू किया जाएगा। इससे पूर्व निगम ने कई बार अलग-अलग जगहों पर प्रोसेसिंग प्लांट बनाने के लिए जमीन चिह्नित की, परंतु उसे हासिल करने में विफल रहा। अब निगम का कहना है कि इस समस्या का निराकरण हो जाएगा।
जमीन के बदले 300 करोड़ मांगने के बाद फंस गया था पेंच
एफसीआई से जमीन लेने का मामला नया नहीं है। मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल के कार्यकाल में ही एफसीअाई से 90 एकड़ जमीन लेने पर सहमति बनी थी। रघुवर सरकार की ओर से एफसीआई प्रबंधन काे यह प्रस्ताव भी भेजा गया था। अग्रवाल ने इस मुद्दे काे लेकर उर्वरक मंत्रालय काे भी पत्र लिखा था।
मंत्री से भी मिलकर जमीन उपलब्ध कराने की भी अपील की थी। जमीन काे लेकर विभागीय स्तर पर बात चल ही रही थी, इसी बीच एफसीआईएल के वित्त निदेशक निरंजन लाल ने 90 एकड़ जमीन के बदले 300 कराेड़ रुपए की मांग कर दी। 300 कराेड़ की मांग के बाद से ही यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। अब एक बार फिर नगर आयुक्त ने एफसीआई से जमीन लेने की प्रक्रिया शुरू की है।
सियालगुदड़ी, टुंडी, बलियापुर के बाद अब सिंदरी फाइनल
साॅलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत प्राेसेसिंग प्लांट के लिए जमीन की तलाश नगर निगम पिछले दस साल से कर रहा है ,लेकिन अभी तक जमीन नहीं मिल पाई है। वर्ष 2012 में बीसीसीएल ने पुटकी सियालगुदरी में 34 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई गई थी। घनी आबादी के बीच जमीन हाेने के कारण स्थानीय लाेग इसका विराेध करने लगे।
लाेगाें के विराेध के कारण निगम काे अपना निर्णय वापस लेना पड़ा। इसके बाद निगम ने पूर्वी टुंडी में भी जमीन काे चिह्नित किया था, लेकिन यहां भी सफलता नहीं मिली। बलियापुर के अमझाेर में भी 17 एकड़ जमीन चिह्नित किया गया। पहले यह जमीन झमाडा का बताया गया, लेकिन जब इसकी जांच की गई ताे एक्त जमीन रैयती निकली।
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