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एनेस्थेसिया विभाग के एचओडी पर दुराचार के प्रयास का आरोप:एचओडी ने अपनी निजी क्लिनिक में बुलाकर जोर-जबरदस्ती की कोशिश की मना करने पर नाइट ड्यूटी लगाई, अब फाइनल परीक्षा देने पर भी लगाई रोक

धनबादएक वर्ष पहलेलेखक: जीतेंद्र कुमार
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डॉ. यूएन वर्मा - Dainik Bhaskar
डॉ. यूएन वर्मा
  • मेडिकल कॉलेज की पारा मेडिकल छात्रा ने एनेस्थेसिया विभाग के एचओडी डॉ यूएन वर्मा पर लगाया दुराचार के प्रयास का आरोप
  • आरोपी डॉक्टर ने कहा, आरोप निराधार, अधीक्षक ने जांच के लिए बनाई कमेटी
  • 10 दिसंबर है एनेस्थेसिया टेक्नीशियन कोर्स में फार्म भरने की अंतिम तारीख

एसएनएमएमसीएच में एनेस्थेसिया विभाग के एचओडी डाॅ यूएन वर्मा पर एक पारा मेडिकल छात्रा ने दुराचार के प्रयास का आरोप लगाया है। इस बाबत छात्रा ने अस्पताल अधीक्षक से लिखित शिकायत की है।

एसएनएमएमसीएच स्थित पारा मेडिकल इंस्टीट्यूट में सत्र 2019-21 में एनेस्थेसिया टेक्नीशियन का काेर्स कर रही छात्रा ने शिकायत में बताया कि डॉ वर्मा ने उसे अपने प्राइवेट क्लिनिक में काम करने को कहा था। उनके नर्सिंग होम जाने के बाद डॉ वर्मा ने उसके साथ जोर-जबरदस्ती करने का प्रयास किया। किसी प्रकार उनके चंगुल से भागी। प्रतिशोध की भावना से डॉ वर्मा उसे फाइनल परीक्षा में शामिल होने नहीं दे रहे हैं। परीक्षा फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 10 दिसंबर हैं। अन्य स्टूडेंट्स फॉर्म भर चुके हैं, पर डॉ वर्मा उसे रोक रहे हैं।

छात्रा की शिकायत पर अस्पताल अधीक्षक ने तीन सदस्यीय टीम बनाकर जांच शुरू करा दी है। मेडिकल काॅलेज में परीक्षा संयाेजक ने एनेस्थेसिया विभाग के एचओडी काे पत्र लिख परीक्षा में शामिल हाेने वालाें स्टूडेंट्स की सूची मांगी है।

छात्रा ने सुनाई आपबीती, किसी प्रकार आबरू बचाई, अब बर्बाद करने पर आमादा हैं डॉ वर्मा

भास्कर से बातचीत में छात्रा ने बताया-डाॅ यूएन वर्मा अक्सर अपने नर्सिंग हाेम में काम करने के लिए बाेलते थे। एक दिन वह नर्सिंग हाेम देखने गई ताे वहां उन्हाेंने मेरे साथ गलत करने का प्रयास किया। वहां से भागकर किसी तरह अपनी इज्जत बचाई। इसके बाद मैंने उनके नर्सिंग हाेम जाने से इनकार कर दिया ताे स्टूडेंट हाेने के बावजूद नियमित कर्मचारियाें के साथ ड्यूटी राेस्टर में शामिल कर नाइट ड्यूटी कराई गई। अब फाइनल परीक्षा से भी रोक दी है।

उनकी इच्छा पूरी नहीं करने के कारण डाॅ वर्मा जानबूझकर लगातार मेरे साथ अन्याय कर रहे हैं। प्रशिक्षण के दाैरान उसका अटेंडेंस 75 फीसदी से अधिक है। जिस टर्मिनल एग्जाम का हवाला दिया जा रहा है वह विभाग ने कराया ही नहीं। परीक्षा फॉर्म नहीं भरने दिया गया ताे उनके दाे साल बर्बाद हाे जाएंगे।

पिता ने कहा-बेटी मानसिक रूप से परेशान, कुछ हुआ ताे डाॅ वर्मा जिम्मेवार

छात्रा के पिता ने भी अस्पताल अधीक्षक से लिखित शिकायत कर बताया कि एनेस्थेसिया विभाग के एचओडी अपने क्लिनिक में बुलाकर बच्ची के साथ गलत करना चाहते हैं। ऐसा कर पाने में विफल हाेने के कारण वह बच्ची काे परीक्षा में शामिल नहीं हाेने दे रहे हैं। इस कारण बच्ची मानसिक तनाव में रह रही है। मुझे भय है कि तनाव में बच्ची कहीं काेई गलत कदम न उठा ले और उसके जीवन काे खतरा हाे जाए। इसके लिए डाॅ यूएन वर्मा जिम्मेवार हाेंगे।

तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन
छात्रा और पिता की लिखित शिकायत मिलने के बाद अधीक्षक डाॅ एके वर्णवाल ने मामले की जांच के लिए साेमवार काे तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया। जांच कमेटी में आई विभाग के एचओडी डाॅ रजनीकांत सिन्हा, बायाेकेमिस्ट्री विभाग के एचओडी डाॅ एसके वर्मा और गायनी विभाग की चिकित्सक डाॅ राजलक्ष्मी तुबिद काे शामिल किया गया है।

डाॅ यूएन वर्मा ने कहा- झूठा आरोप
मामले में डाॅ यूएन वर्मा ने कहा कि 75 फीसदी अटेंडेंस नहीं हाेने और टर्मिनल एग्जाम में शामिल नहीं हाेने के कारण परीक्षा में शामिल हाेने की इजाजत नहीं दी गई है। छात्रा काे कभी अपनी क्लिनिक में नहीं बुलाया। गलत व्यवहार करने का आराेप भी निराधार है। छात्रा के पिता राजनीति से जुड़े हैं और गलत आराेप लगाकर नाजायज लाभ उठाना चाहते हैं।​​​​​​​

किस आधार पर रोका, इसकी जांच
छात्रा की शिकायत मिली है। मामले में जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। जिस आधार पर फार्म भरने से राेका जा रहा है इसकी जांच के लिए छात्रा का अटेंडेंस की जांच कराई जा रही है। छात्रा काे परीक्षा में शामिल कराने का प्रयाय किया जा रहा है। -डाॅ एके वर्णवाल, अधीक्षक, एसएनएमएमसीएच