सिंफर और काेलकाता की एमएन दस्तूर एंड कंपनी के बीच मंगलवार काे एमओयू हुआ। इससे काेल टू मेथेनाॅल के लक्ष्य काे गति मिलेगी। सिंफर के डिगवाडीह कैंपस में काेल टू सिनगैस का प्लांट पहले से लगा हुआ है, जिसका उद्घाटन 17 नवंबर 2020 काे हुआ था। अब इस नए समझाैते के बाद सिनगैस टू मेथेनाॅल बनाने के लिए प्लांट लगाया जा सकेगा।
कंपनी की ओर से प्लांट लगाने के लिए टेक्निकल सपाेर्ट मिलेगा। यह प्लांट भी डिगवाडीह कैंपस में ही काेल टू सिनगैस के निकट बनेगा। वर्ष 2022 के अंतिम तक इस प्लांट काे बनाने का लक्ष्य रखा गया है। माैके पर सिंफर की ओर से निदेशक डाॅ पीके सिंह सिंह, वैज्ञानिक डाॅ आरवीके सिंह, ईआर अमरनाथ, डाॅ प्रकाश चवण, डाॅ सुदिप्ता दत्ता और कंपनी से साैविक गुप्ता, साैकर्ष दास माैजूद थे।
15 फीसदी मेथनॉल मिलाने के बाद तैयार होता है ईंधन
डाॅ प्रकाश चवण ने बताया कि ईंधन में 15 प्रतिशत तक मेथेनाॅल मिलाया जा सकता है। फार्मासूटिकल्स के लिए बनने वाले केमिकल बनाने में भी मेथेनाॅल का उपयाेग हाेता है। मुख्य ताैर पर यह पेट्राेलियम प्राेडक्ट पर निर्भरता कम करने में मदद करेगा। अभी कच्चे तेल और केमिकल आयात करने पड़ते हैं, जिसे यह तकनीक कम कर पाएगी। इससे विदेशी राशि बचेगी और दूसरे देशाें पर निर्भरता भी कम हाेगी।
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