धनबाद अग्निकांड में अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है। कई घायलों का इलाज जारी है। आगजनी के बाद पूरे आशीर्वाद अपार्टमेंट को प्रशासन की ओर से खाली करा दिया गया। जिन्हें जहां जगह मिली वे वहां चले गए। जिन्हें कहीं ठिकाना नहीं मिला उन्होंने गुरुद्वारे में शरण ली है।
सभी मंगलवार की रात से ही गुरुद्वारे में हैं। दैनिक भास्कर की टीम इस गुरुद्वारे पहुंची तो लोग उन्हीं कपड़ों में मिले जो उन्होंने 3 दिन पहले शादी में पहने थे। लोगों का कहना है खाना तो यहां मिल रहा है, लेकिन भूख ही नहीं लगती।
यहां अब भी महिलाओं की आंख से आंसू रूक नहीं रहे हैं। पुरुषों की आंखें लगभग पथरा गई हैं। चेहरे पर असमंजस की स्थिति, चिंता और अपनों को खो देने के दु:ख साफ दिखाई देता हैा।
चेहरे उदास, कोई किसी से बात नहीं कर रहा
शक्ति मंदिर रोड की एक ओर है आशीर्वाद अपार्टमेंट। इसके ठीक सामने लगभग 16 फिट की सड़क। सड़क के किनारे पीपल का पेड़ और पेड़ से सटी एक 8 फिट की गली। इसी ढलाउनूमा गली में घुसते ही लगभग 15 कदम चलने के बाद दाहिने हाथ पर है गुरुद्वारा। वहीं बायीं ओर गुरुद्वारा कमिटी की दो मंजिला इमारत है। इसी में लगभग 60 से 70 लोग हैं। लगभग आधे पुरुष और आधी महिलाएं।
इसी इमारत के दूसरी मंजिल के एक कमरे में लगभग 37 साल के मुकेश मिलते हैं। उन्होंने इस दुघर्टना में अपने अपनी भाभी और चाचा को खोया है। मुकेश भी इसी परिवार के सदस्य हैं। वे बताते हैं कि कैसे क्या किया जाए समझ नहीं आ रहा। तीन दिन से यहीं पड़े हुए हैं। घर बंद पड़ा हुआ है। घर के सामने शरणार्थी बन कर रह गए हैं।
महिलाओं की स्थिति तो और भी खराब है। हालत ऐसी है कि तीन से कपड़ा तक नहीं बदले हैं। गुरुद्वारे का सहयोग है कि चल रहा है। वे बताते हैं कि कल दाहकर्म हुआ है। आज से श्राद्ध कर्म किए जाने हैं। कहां से कैसे हो कुछ तय नहीं हो पाया है।
वे कहते हैं कि फ्लैट की चाबी नहीं मिली है। मिल भी जाए तो क्या फायदा। लाइट नहीं है। बिजली नहीं है। सीढ़ियां चढ़ना संभव नहीं है। उनके चेहरे में दिखाई देता है कि क्या करें और क्या न करें।
लगभग 30 साल की उम्र के टिपू कुमार गद्दे में पलथी लगाए चुपचाप बैठे हैं। पहले तो बात करने से कतराते हैं फिर खुद की बुलाते हैं। टिपू कहते हैं कि इस शादी में मदद के लिए एक महीने से अपने मौसा ( सुबोध लाल दुल्हन के पिता ) के साथ हैं।
इस घटना में आपने किसे खोया इस सवाल पर टिपू गहरी सांस लेकर कहते हैं कि अब यह सवाल न ही पूछा जाए। वे कहते हैं कि अब तो रोना भी नहीं आ रहा। वो कहते हैं कि जिस परिवार के साथ मैं एक महीने से हूं। साथ खाना, साथ बातें करना, साथ ही शादी की प्लानिंग करना।
पल भर में उन लोगों से कई नहीं रहते। आप मेरी मन:स्थिति समझ सकते हैं। वो बताते हैं मैंने बहुतों को खो दिया। कोई भगीना है तो कोई नानी, कोई मौसी है तो कोई चाची। वो बताते हैं कि बाहर के जो लोग थे उनमें अधिकांश अपनी किस्मत को कोसते हुए लौट चुके हैं। कुछ आज जा रहे हैं।
यहीं मिलता है 21 साल का बिरू। कोडरमा से शादी में शामिल होने आया था। वह बताता है कि बूआ, चाची, दादा और बहनों को इस हादसे में खो दिया है। गुरुद्वारा में तीन दिनों से रह रहा है। उसके चेहरे पर उस दिन की घटना का भय साफ झलकता है।
यहां से कब घर के लिए निकलेंगे? इस सवाल पर बिरू कहते हैं कि हमें नहीं पता कि हम घर कब पहुंचेंगे। बस हमारी कोशिश है कि यहां का माहौल थोड़ा बेहतर हो जाए। इशारों में बिरू साफ संकेत देते हैं कि जो परिवार खुशी में शामिल होने आया था वो इस गम में छोड़कर अचानक जाए भी तो कैसे।
सभी लोगों के लिए विशेष व्यवस्था
गुरुद्वारा कमिटी सिंह सभा के सेक्रेटरी राजेंद्र सिंह चावला और कैशियर जगजीत सिंह बताते हैं कि घटना की रात से ही लगभग 70 लोग, यहां रह रहे हैं। दरअसल घटना के बाद प्रशासन की ओर से पूरे आशीर्वाद अपार्टमेंट को खाली करा दिया गया था। लगभग 68 फ्लैट खाली कराए गये थे। जिनमें अधिकांश परिवार अपने किसी परिचित के यहां चले गए। गुरुद्वारा में वैसे लोग ही रह रहे हैं, जो शादी के घर आए हुए थे या फिर जिनके पास ठिकाने का कोई विकल्प नहीं था।
गुरुद्वारा कमिटी की ओर से इनके लिए हर संभव बेहतर सुविधा दी जा रही है। गुरुद्वारे के ठीक सामने की इमारत में घुसते हुए बड़ा सा हॉल में गद्दे लगाए गए थे। वहीं पहली मंजिल के पांच कमरे में बेड लगाए हुए थे। इसके अतिरिक्त 50 के करीब गद्दे रखे हुए थे, जिन्हें जरूरत पड़ने पर लगाया जाता।
खाना तो बन रहा पर भूख किसी को नहीं
गुरुद्वारे के हॉल के एक ओर कोने में खाना बनाने की पूरी व्यवस्था है। कमिटी के पदाधिकारी बताते हैं कि घटना की रात से ही लंगर शुरू कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त आसपास के लोग घरों से बना कर भी खाना ला कर दे रहे हैं।
पीड़ित परिवार के लोग और उनके परिजनों की सेवा के लिए जितने पुरुष लगे हुए हैं, उतनी महिलाएं भी लगी हुई हैं। बातचीत के दौरान खाना पका रही महिलाएं बताती हैं कि हम तो हर दिन चार टाइम खाना पका रही हैं, लेकिन भूख किसी को नहीं है। सभी की आंखों में खौफनाक मंजर घूमता नजर आता है।
हॉल में महिलाओं के आंसू थमने का नहीं ले रहे नाम
गुरुद्वारा कमिटी सिंह सभा की ओर से लोगों के लिए इंतजाम तो किए गए हैं पर सुबोध लाल श्रीवास्तव के घर आयोजित शादी में शामिल होने आए लोग, जो अब दुघर्टना के शिकार हो चुके थे, उनके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। महिलाएं कभी एक दूसरे को ढ़ांढस बंधा रही हैं कभी खुद ही रोने लग जा रही हैं।
अपनों को आंखों के सामने दम घुट कर मरता देख भला कौन ऐसा पत्थर दिल होगा जिसकी पलकें न भीगे। कुछ ऐसे बच्चे भी हैं, जो समझ ही नहीं पा रहे हैं कि किसे समझाएं, किससे न रोने की मनुहार करें। परिस्थितियां इंसान को कम उम्र में उम्रदराज कर जाती हैं। यह बात गुरुद्वारा में रहे रहे कई लोगों के चेहरे को देख कर समझा जा सकता है।
सामान्य स्थिति होने तक चलेगी व्यवस्था
गुरुद्वारा कमिटी सिंह सभा के कैशियर जगजीत सिंह बताते हैं कि हम केवल वैसे लोगों की ही सेवा नहीं कर रहे जो प्रत्यक्ष प्रभावित हैं बल्कि उनके लिए भी व्यवस्था किए हुए हैं जो अपनों की तलाश करते पहुंचे हैं। ऐसे लोग भी गुरुद्वारा में हैं जो अपनों की खबर लेने धनबाद पहुंचे हैं।
वे बताते हैं कि हमने घटना के तीन घंटे बाद ही लोगों के लिए व्यवस्था कर दी थी। सब कुछ सामान्य होने तक यह सेवा जारी रहेगी। यहां 70 लोगों को ठहराया जरूर गया है पर एक सौ से अधिक लोग खाना खा रहे हैं।
हादसे में इनकी मौत
1. दुल्हन की मां- माला देवी ( 40)
2. दुल्हन के दादा-विजयी लाल ( 70)
3. दुल्हन की मौसी- सविता देवी ( 32 ), बोकारो
4. दुल्हन का मौसेरा भाई-अमन कुमार (7), बोकारो
5. दुल्हन की चाची-सुशीला देवी ( 49), हजारीबाग
6. दुल्हन की चचेरी बहन- तन्वी राज (3), हजारीबाग
7. -सुनीता देवी (50), बोकारो
8. आशा देवी (45), नवादा
9. श्रेया कुमारी (7), ईटखोरी, जिला- चतरा
10. बिन्दा देवी (65) पति स्व नारंगी लाल पता- बेरमो जिला-बोकारो
11. पुतूल देवी (60), धनबाद
12.दुल्हन की मामी- गौरी देवी (58 ), धनबाद
13.सुशीला देवी ( 60) पता- धनबाद
14.बेबी देवी (40), बोकारो
तस्वीरों में देखिए धनबाद अग्निकांड की पूरी कहानी...
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