भास्कर पड़ताल:गढ़वा में 210 निबंधित क्लीनिक और नर्सिंग होम, चल रहे 500; बिना रजिस्ट्रेशन के 300

गढ़वा10 महीने पहलेलेखक: ​सोनू कुमार​​​​​​​
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स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से बिना रजिस्ट्रेशन के इलाके में करीब 300 अस्पताल संचालित हो रहे हैं। फर्जी अस्पतालों में कुछ का पंजीकरण क्लीनिक के नाम पर है तो कुछ बगैर पंजीकरण के ही चल रहे हैं। विडम्बना तो यह है कि यहां ओपीडी के साथ ही धड़ल्ले से प्रसव भी कराया जा रहा है।

इन अस्पतालों के बोर्डों पर एमबीबीएस डॉक्टरों के नाम तो अंकित हैं, लेकिन मरीजों का इलाज झोला छाप डाक्टर ही करते हैं। बावजूद इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है। कभी कभार महज खानापूर्ति कर अभियान को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। नर्सिंग होम के धंधे में लिप्त बाहर के एमबीबीएस डाक्टरों के नाम पर पंजीकरण करा कर उसके बदले में मोटी रकम की भरपाई करते हैं।

जबकि इलाज झोलाछाप डाक्टर करते हैं। नगर के अलावा तहसील क्षेत्र में संचालित अपंजीकृत जच्चा-बच्चा केंद्रों पर नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जाती हैं। जनता का जमकर शोषण करने के साथ उनके जीवन से खिलवाड़ किया जाता है।

वहीं बहुतेरे प्राइवेट अस्पतालों में गांव की दाईयां या अपंजीकृत महिला चिकित्सक प्रसव कराने का काम कर रही है। असुरक्षित प्रसव की वजह से जच्चा-बच्चा की मौत के भी कई मामले सामने आ चुके हैं। बावजूद इनके खिलाफ कार्रवाई न होना लोगों को खल रहा है। जिले में डॉक्टरों ने इलाज के लिए बड़े-बड़े साइन बोर्ड लगे हुए थे।

500 से अधिक क्लीनिक और नर्सिंग होम, मरीजों से खिलवाड़

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जिले के दर्ज रिकार्ड में 210 नर्सिंग होम और, अस्पताल निबंधित है। उसमें अधिकांश लोगों के पास न तो डॉक्टर है और न ही नर्स। भाड़े पर डॉक्टर की सर्टिफिकेट लगाकर स्वास्थ्य विभाग से निबंधित कराते है। उसे बाद जो मर्जी उसकी ऑपरेशन और इलाज करते है। बिना स्त्री रोग विशेष के ही प्रसव, बिना सर्जन के ही विभिन्न तरह की ऑपरेशन और बिना एनेस्थेसिया के डॉक्टर के बेहोश कर विभिन्न तरह की ऑपरेशन किया जा रहा है।

उसका नतीजा है कि हमेशा विशेष चिकित्सक के नहीं रहने के कारण मरीज की जान जा रही है और उसकी खबर प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को भी है। पर कोई ध्यान नहीँ दिया जा रहा है। गौरतलब है कि जिले में 500 से अधिक अस्पताल हैं।

विधायक भी उठा चुके है अवैध अस्पताल का मामला
जिले में अवैध निजी अस्पताल संचालित किए जाने की मामले को विधायक भानू प्रताप शाही भी बीस सूत्री की बैठक में उठा चुके है। विधायक ने स्वास्थ्य विभाग से सवाल किया था कि बिना लाईसेंस और अनुभवी चिकित्सक के निजी अस्पताल कैसे चल रहा है।

लगातार छापेमारी अभियान चलाया जा रहा : सिविल सर्जन

इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ कमलेश कुमार ने कहा कि अवैध निजी नर्सिंग होम के विरोध स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगातार छापेमारी अभियान चलाया जा रहा है। कुछ दिन पूर्व ही 10 क्लिनिक को सील किया गाय है। जिसमे कांडी में दो, रंका में चार, भवनाथपुर में दो, बंशीधर नगर में एक, गढ़वा में एक, नर्सिंग होम को सील किया गया है।

इससे पहले भी कई अस्पतालों को सील किया जा चुका है। आगे भी जांच उपरांत कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि जिले में कई बार बिना लाईसेंस के चल रहे अस्पताल को बंद करने का नोटिस निकला। उसके बाद बिना लाईसेंस के अस्पताल चल रहे हैं।

अस्पतालों में अनुभवी विशेषज्ञ चिकित्सक का होना जरूरी

बताया जाता है कि जिले में निजी अस्पताल को निबंधन कराते समय अस्पताल में अनुभवी विशेषज्ञ चिकित्सक का होना जरूरी है। उसके लिए संबंधित चिकित्सक को अस्पताल में रहना और उनकी सहमति जरूरी है। अस्पताल में सिजेरियन की सुविधा रखने के लिए सर्जन, स्त्री रोग विशेषज्ञ और एनेस्थेसिया विशेषज्ञ होना जरूरी है।

साथ ही अस्पताल में ए ग्रेड नर्स, ओटी असीसटेंट होना जरूरी है। बाथरूम, उपलब्ध स्थान होना आवश्यक है। लेकिन अधिकांश अस्पतालों में उसमें से एक भी सुविधा नहीं है। पर धडल्ले से लाईसेंस का सार्टिफिकेट बाटा जा रहा है।

अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन से मरीजों को मिलेगा बेहत इलाज

जिले के सभी नर्सिंग होम और क्लीनिक का पंजीयन अनिवार्य होने से मरीजों को यह फायदा होगा कि वे ऑनलाइन सभी अस्पतालों की फीस देख सकेंगे। अस्पतालों का पता और फोन नंबर भी ऑनलाइन में दिया जाएगा। मरीज संबंधित अस्पताल में फोन करके यह पूछ सकेंगे कि चिकित्सक किस समय पर उपलब्ध होंगे।

साथ ही वेबसाइट में भी यह आसानी से देखने को मिल सकेगा कि अस्पतालों में कौन-कौन सी सुविधाएं मरीजों को मिल रही है। अस्पताल में अनुभवी डॉक्टरों के रहने से मरीजों को बेहतर इलाज का लाभ मिल सकेगा। हालांकि स्वास्थ्य विभाग इस ओर ध्यान दे रहा है।

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