बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों के कब्जे से मुक्त कराने के बाद लगातार अभियान चला रहे पुलिस, सीआरपीएफ, जगुआर, कोबरा बटालियन के जवानों को पेयजल की गंभीर समस्या से जूझना पड़ रहा है। इन सभी बटालियन में शामिल करीब 300 जवान पानी के लिए दिन भर परेशान दिख रहे हैं। पानी की व्यवस्था के लिए जिला के वरीय पदाधिकारियों के अलावा सांसद और विधायक से भी मांग की गई है। बावजूद इसके इन लोगों को इस समस्या से निजात नहीं मिला है। बूढ़ा पहाड़ पर अभियान चला रहे जवान पास के गांव पुनदाग से पीने व नहाने का पानी लेकर आते हैं। यहां भी बाहर से पानी आता है। गांव की दूरी कैंप से करीब एक किलोमीटर है।
गढ़वा जिला प्रशासन का दावा- जल्द ही जवानों को कैंप के नजदीक पानी उपलब्ध कराने का हो रहा है प्रयास
बूढ़ा पहाड़ पर जवानों के लिए यह परेशानी गंभीर है। बूढ़ा पहाड़ के ऊपर कैंप में रह रहे जवानों को और अधिक परेशानी से जूझना पड़ रहा है। पहाड़ पर रह रहे जवान पहाड़ से निकले झरना के पानी से काम चला रहे हैं। यही पानी उनके पीने, नहाने, कपड़ा धोने व अन्य कार्य में उपयोग हो रहा है। इस संबंध में बूढ़ा पहाड़ वह उसके आसपास के क्षेत्रों में अभियान चला रहे जवानों का कहना है कि अभी तो किसी तरह से वे लोग काम चला ले रहे हैं लेकिन गर्मी आते ही यह समस्या और अधिक गंभीर हो जाएगी तब अभियान में लगे जवानों को और अधिक परेशानी झेलना पड़ेगा इसलिए गर्मी से पहले पानी की समस्या को दूर करने का हर संभव प्रयास करना होगा।
पानी की समस्या से निजात के लिए कैंप के आसपास दो डीप बोर करवाए गए थे। पूर्व के एक बोर में थोड़ा पानी आने के बाद या तो बंद हो जाता है या गंदा पानी आने लगता है। जबकि दूसरे बोर में 200 से अधिक फीट बोरिंग के बाद भी पानी नहीं आया। अभियान में लगे वरीय पदाधिकारी छत्तीसगढ़ के बलरामपुर प्रशासन से भी पेयजल की समस्या को लेकर अपनी बात रखें हैं। बलरामपुर के अधिकारियों ने आश्वासन भी दिया है। लेकिन अभी तक पहल नहीं हो सकी है उम्मीद है कि जल्द ही इस समस्या से जवानों को निजात मिल जाएगी।
डीसी से बात की है निदान होगा : एसपी
गढ़वा एसपी अंजनी कुमार झा ने कहा कि पेयजल की समस्या को लेकर उपायुक्त गढ़वा से बात की गई है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि बहुत जल्द इस समस्या का समाधान हो जाएगा। प्रक्रिया के तहत कार्य भी हो रहा है। उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम में प्राकृतिक जल स्रोत के कारण जवानों को इतनी परेशानी नहीं हो रही थी। लेकिन जैसे-जैसे मौसम बदल रहा है, जल स्रोत भी कम पड़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में थोड़ी परेशानी हो रही है। लेकिन इसका जल्द ही समाधान कर लिया जाएगा।
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