चार दिवसीय महापर्व चैती छठ पूजा के तीसरे दिन सोमवार को शाम डूबते भगवान सूर्यदेव को पहला अर्घ्य संपन्न हुआ। घाट पर जाने से पहले बांस की टोकरी में मौसमी फल, ठेकुआ, कसर, गन्ना और पूजा का सामान के साथ सजाया गया। मान्यताओं के अनुसार, शाम के समय सूर्य अपनी पत्नी प्रत्युषा के साथ समय बिताते हैं। इसलिए छठ पूजा में शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से उनकी पत्नी प्रत्युषा की भी उपासना हो जाती है।
इस वजह से व्रती की मनोकामनाएं जल्द पूर्ण होती हैं। इसके अलावा डूबते सूर्य के साथ-साथ उगते सूर्य को अर्घ्य देना भी महत्वपूर्ण माना गया है। ज्योतिषियों के मुताबिक, डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन की कई समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इससे स्वास्थ्य भी ठीक बना रहता है। साथ ही डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से आंखों की रोशनी भी बढ़ती है। वहीं मगंलवार को उदीयमान सूर्य की अर्घ्य के साथ चैती छठ महापर्व का समापन होगा।
चैती छठ को लेकर स्टूडेंट क्लब, फ्रेंड्स क्लब, जय मां देवी संघ छठ पूजा समिति नदी में स्थित छठ घाट बनाया गया है। जिला प्रशासन ने छठ व्रती और भक्तों को भक्तिमय वातावरण मानने का भी अपील की है। वर्ती पुरा भक्ति में वातावरण के साथ छठ घाट में भगवान भास्कर को अर्घ्य दिए। उन्होंने कहा कि गढ़वा में वृहद पैमाना पर छठ पूजा का आयोजन किया जाता है।
घाटों पर तोरण द्वार का निर्माण
यहां के स्वयंसेवी संस्थाओं के द्वारा छठ घाट को दुल्हन की तरह सजाया गया। यहां दूर-दूर से छठव्रती छठ पूजा करने को लेकर आते हैं। उन्होंने कहा कि उक्त कार्य को सफल बनाने में क्लब के अध्यक्ष अजय केशरी, पवन कुमार, संरक्षक बिनोद जायसवाल आदि महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। छठव्रतियों को सुविधा कराया था स्टूडेंट क्लब, फ्रेंड्स क्लब, जय माता दी संघ स्टूडेंट क्लब के संरक्षक विनोद जायसवाल ने कहा कि वर्तमान समय मे छठ पूजा के अवसर पर छठव्रतियों को सुविधा प्रदान करने को लेकर रौशनी, साफ-सफाई, छठ घाट की सजावट, थाला का निर्माण, तोरण द्वार का निर्माण, अर्घ के लिए दूध, दातून सहित अन्य व्यवस्था कराया था।
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