तेज बारिश के साथ ओलावृष्टि:सैकड़ों एकड़ में लगी गेहूं और सरसों की फसल नष्ट, घरों को भी पहुंचा भारी नुकसान

गढ़वा2 महीने पहले
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लगातार अकाल और सुखाड़ की मार झेल रहे किसानों पर ओलावृष्टि के रूप में कुदरत की बड़ी मार पड़ी है। रविवार को जबरदस्त ओलावृष्टि के साथ हुई तेज व असमय बारिश ने किसानों के खेत में लगे सैकड़ों एकड़ में लगी फसल को बर्बाद कर दिया है। वहीं खेत से काटकर खलिहान में रखे फसल भी अचानक से हुई ओलावृष्टि के साथ हुई बारिश में भींग गए है।

रविवार को खरौंधी प्रखंड क्षेत्र के सुंडी, करिवाडीह, पिपरा, खोखा, रजखड़, राजी आदि सहित अन्य गांवों में जबरदस्त ओलावृष्टि हुई। जबर्दस्त ओलावृष्टि एवं तेज आंधी तूफान के साथ जोरदार हुई असमय बारिश से किसानों की फसल के साथ साथ घरों को भी भारी नुकसान हुआ है।खेतों में लगे गेहूं, अरहर,चना, सरसो, आम, महुआ का फसल को भारी नुकसान हुआ है।

वही पकने के बाद खेतों से काटकर खलिहान में रखे चना, तोरी, राई, सरसों का फसल ओलावृष्टि व इस बेमौसम हुई भारी बारिश की बजह से भींग कर सड़ रहे हैं। अलख सिंह, अलेंद्र सिंह, प्रयाग सिंह, अरविंद सिंह, राम विनय चंद्रवंशी, प्रभु चेरो आदि प्रभावित किसानों ने बताया कि रविवार दोपहर बाद आसमान से जमकर आफत बरसी।

6 से अधिक गांवों 70 प्रतिशत फसल बर्बाद, पहले से सूखे की मार झेल रहे किसानों की बढ़ी परेशानी

तेज आंधी और बारिश के साथ हुई भारी ओलावृष्टि से घरों और फसलों को भारी नुकसान हुआ है। किसानों का कहना है कि अगर सरकार ने सहायता के लिए हाथ नहीं बढ़ाया तो वे कर्ज के बोझ में दब कर तबाह हो जाएंगे। लेकिन देर शाम तक राजस्व विभाग का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी प्रभावित किसानों तक नहीं पहुंच पाया है। लोगों ने बताया कि रविवार के 3-3.30 बजे के करीब अचानक मौसम ने करवट बदला और आसमान में काले बादल छा गया।

देखते ही देखते 4- 4.30 बजे के करीब भयंकर आंधी के साथ भारी वर्षा और ओलावृष्टि होने लगी। लगभग 45 मिनट तक आसमान से बरसी आफत की बारिश और भारी ओलावृष्टि से दर्जनों घरों को नुकसान हुआ है। किसानों के खेत में लगे फसल और खलिहान में रखे फसलों सहित घरों को भारी नुकसान हुआ है।

आंधी,बारिश और ओलावृष्टि की चपेट में आकर आधा दर्जन गांव के सैकड़ों एकड़ की फसल पूरी तरह से चौपट हो गई है। वहीं प्रभावित गांव के किसानों के सरसो और गेहूं की फसल को 70 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है। जबरदस्त बारिश और ओलावृष्टि का कहर थमने के बाद रविवार की शाम किसान अपनी फसल की बर्बादी को देखते रहे। वहीं ग्रामीण अपने उजड़े हुए आशियाने को संवारने में जुटे रहे।

इस बाबत बीस सूत्री प्रखंड अध्यक्ष राजेश कुमार रजक ने कहा कि पहले से सुखाड़ की मार झेल रहे किसानों की इस समय मौसम हुई बरसात और ओलावृष्टि ने किसानों की कमर तोड़ दी है। बेबस किसान अपनी आंखों से अपनी फसल के इस बर्बादी की मंजर को देखकर दुखी हैं।

वही विधायक प्रतिनिधि जितेन्द्र प्रसाद यादव ने कहा कि सरकार निरीह किसानों की फसल नुकसान का आकलन कर मुआवजा दे। झारखंड सरकार द्वारा सुखाड़ राहत का लाभ किसानों के लिए छलावा मात्र है। लगभग 25 प्रतिशत किसानों को ही इसका लाभ मिल पाया है। कृषि लोन माफी योजना से कई किसान वंचित हैं। किसानों को कृषि लोन दिया जाए। बंद पड़ी किसान सम्मान निधि योजना को चालू कराया जाए। किसानों के खेतों तक बिजली पहुंचाई जाय। जिससे किसानों की समस्या का समाधान हो सके।