झारखंड में नक्सलवाद का खात्मा करने वाले सिपाही पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जवानों को कई किमी दूर से पानी लाकर अपनी प्यास बुझाना पड़ रहा है। झारखंड में नक्सलियों के कब्जे से उनका सबसे बड़ा गढ़, बूढ़ा पहाड़ सुरक्षा बल ने छिन लिया है।ऑपरेशन ऑक्टोपस के सफलता की कहानियां हर तरफ हैं। इन सफल कहानियों के बीच दबी है पानी के लिए सुरक्षा बलों की लंबी चली आ रही लड़ाई। पढ़ें पंकज कुमार पाठक की रिपोर्ट
एक तरफ नक्सली दूसरी तरफ पानी की किल्लत
सुरक्षा बल में तैनात जवान एक तरफ नक्सलियों से लड़ रहे हैं,तो दूसरी तरफ पानी की किल्लत से। बूढ़ा पहाड़ में सुरक्षा बलों को पानी के लिए लगभग दो किमी दूर जाना पड़ता है। झरने से बहता पानी जमा करते हैं फिर कैंप लेकर आते हैं।
300 से ज्याादा जवान तैनात
बूढ़ा पहाड़ में 300 से ज्यादा सुरक्षा बल के जवान तैनात हैं। बूढ़ा पहाड़ में आये दिन नक्सली कैंप के ध्वस्त होने, नक्सल के खत्म होने की खबरें आती हैं। जंगल में रात दिन सर्च अभियान में अपना खून पसीना बहाने वाले जवान पानी के लिए भी इतनी ही मेहनत करते हैं। नक्सलियों के खिलाफ लड़ी जा रही इस लड़ाई के सफल होने पर जवानों की पीट थपथपाई जा रही है लेकिन पानी कि किल्लत पर सबकी चुप्पी है।
सुरक्षा में तैनात जवानों ने फोन पर बातचीत में अपनी समस्या तो रखी लेकिन आधिकारिक तौर पर किसी भी तरह की टिप्पणी से इनकार कर दिया। नाम ना लिखने की शर्त पर जवानों ने बताया कि यहां संघर्ष सिर्फ नक्सलियों के खिलाफ नहीं है। आप समझ सकते हैं कि पानी हमारे जीवन के लिए कितना अहम है, हम अपनी प्यास बुझाने के लिए भी जंग लड़ रहे हैं। जवान बताते हैं कि पानी की समस्या लंबे समय से है। क्षेत्र के विधायक और डीसी के सामने भी जवानों ने पानी की समस्या रखी है लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।
पानी की समस्या से लड़ रहे हैं जवान
जवान पास के गांव पुनदाग से पीने और नहाने का पानी लेकर आते हैं। यहां भी बाहर से पानी आता है। गांव की दूरी कैंप में भी बाहर से पानी आता है। यह परेशानी बढ़ रही है। इतना ही नहीं बूढ़ा पहाड़ के ऊपर कैंप में रह रहे जवानों को और अधिक परेशानी से जूझना पड़ रहा है। पहाड़ पर रह रहे जवान पहाड़ से निकले झरना के पानी से काम चला रहे हैं।
गर्मी में संकट बढ़ेगा
जवानों का कहना है कि अभी, तो किसी तरह से वे लोग काम चला ले रहे हैं लेकिन गर्मी आते ही यह समस्या और अधिक गंभीर हो जाएगी तब अभियान में लगे जवानों को और अधिक परेशानी झेलना पड़ेगी।
छत्तीसगढ़ प्रशासन से भी जवानों ने की है अपील
अभियान में लगे वरीय पदाधिकारी छत्तीसगढ़ के बलरामपुर प्रशासन से भी पेयजल की समस्या को लेकर अपनी बात रखे चुके हैं। बलरामपुर के अधिकारियों ने आश्वासन भी दिया है। लेकिन अभी तक पहल नहीं हो सकी है।
अधिकारियों ने कहा प्रक्रिया में वक्त लगता है
इस संबंध में गढ़वा एसपी अंजनी कुमार झा ने कहा कि पेयजल की समस्या को लेकर उपायुक्त गढ़वा से बात की गई है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि बहुत जल्द इस समस्या का समाधान हो जाएगा। प्रक्रिया के तहत कार्य भी हो रहा है।
मंत्री जी नहीं उठाते फोन
पानी की समस्या से लड़ रहे जवानों के लिए कब तक पानी की व्यवस्था होगी ? इस पर अब तक क्या फैसला लिया गया है ? प्रक्रिया कहां तक पहुंची है ? ऐसे सवालों के साथ हमने झारखंड के पेयजल मंत्री मिथिलेश ठाकुर से संपर्क साधने की कोशिश की। दो दिनों से उनके तीन फोन नंबरों पर लगातार बात करने की कोशिश की गयी, कई बार फोन की घंटी बजी। कभी फोन सामने से काट दिया गया, तो कई बार लंबी रिंग के बाद फोन कटा लेकिन संपर्क स्थापित नहीं हो सका। हमने मैसेज करके जवानों की समस्या मंत्री जी के सामने रखी है लेकिन अब तक मंत्री जी ने कोई जवाब नहीं दिया है। ध्यान रहे कि मंत्री जी इस विभाग के मंत्री होने के साथ- साथ इस इलाके के विधायक भी हैं।
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