सदर अस्पताल परिसर स्थित सिविल सर्जन कार्यालय के सभागार में शनिवार को एक्यूट इनफेलाइटिस सिंड्रोम व जापानीज इनफेलाइटिस को लेकर जिलास्तरीय एकदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें चिकित्सा पदाधिकारी, सीएचओ व एमटीएस को प्रशिक्षण दिया गया।
कार्यक्रम में प्रशिक्षक के रुप में भीबीडी झारखंड के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डा.अनिल कुमार, राज्य प्रशिक्षण सलाहकार विनय कुमार, जिला यक्ष्मा सह मलेरिया पदाधिकारी डा.कमलेश कुमार व जिला मलेरिया सलाहकार अरविंद कुमार द्विवेदी उपस्थित थे। मौके पर डाॅ. अनिल कुमार ने कहा कि किसी भी बुखार को हल्के में नहीं लें।
बुखार पीड़ित व्यक्ति का सबसे पहले मलेरिया जांच कराएं। इसके लिए सभी अस्पतालों में आडीके किट उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि बुखार ठीक नहीं हो तो बीमार व्यक्ति को डेंगू, चिकुनगुनियां, जापानीज इनफेलाइटिस का संदेहास्पद मानते हुए जिला मुख्यालय को सूचित करें। मरीजों की निश्शुल्क जांच व इलाज किया जाएगा। प्रशिक्षक ने कहा कि गर्भवती महिला का प्रत्येक एएनसी जांच के समय मलेरिया का भी जांच अवश्य कराना है। साथ ही स्वास्थ्य सहियाओं द्वारा ग्राम स्तर पर बुखार पीड़ितों की सूची तैयार कर उन सभी बीमार व्यक्तियों की जांच कराई जानी है।
उन्होंने कहा कि गांव में बाहर से आने वाले या राज्य के बाहर जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति का सूची तैयार कर चिकित्सकीय जांच कराना है। प्रशिक्षक ने कहा कि जापानीज इनफेलाइटिस एक से 15 वर्ष आयुवर्ग के बच्चों में होता है। इसके लिए मच्छरदानी का प्रयोग, घर में जलजमाव नहीं होने देना जैसे एहतियाती उपाय अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि धान खेत में पनपने वाले मच्छर जापानीज इनफेलाइटिस के वाहक बनते हैं। वहां से बगुला व सुअर में चले जाते हैं। खासकर, सुअर में जापानीज इनफेलाइटिस के वायरस का बैंक बन जाता है।
सुअर को जब कोई भी मच्छर काटता है तो वायरस मच्छर और फिर मनुष्य तक पहुंच जाता है। प्रशिक्षण में डीपीएम प्रवीण कुमार सिंह, सतीश कुमार राम, डा. गौरव विक्रम, डा.भानु प्रताप सिंह, डा. विशाल कुमार, एमटीएस पंकज विश्वकर्मा, शमी कुमारी आदि उपस्थित थे।
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