कुपोषण खत्म करने की जद्दोजहद में लगा जिले का बाल विकास विभाग खुद अपने आंगनबाड़ी केंद्रों को सुपोषित नहीं कर सका है। कई आंगनबाड़ी केंद्रों का अपना भवन नहीं है। ऐसे में अभी कई केंद्रों का संचालन सेविकाओं के घरों पर ही हो रहा है।
प्रखंड में कई ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र हैं जहां बच्चे तो नामांकित हैं लेकिन बच्चों को बैठने, पढ़ने और खेलने के लिए एक अदद भवन नहीं है। भवन के अभाव में प्रखंड के कई आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन संबंधित सेविका और सहायिका के घरों में हो रहा है। जबकि आंगनबाड़ी केंद्र सरकारी भवन या अन्य भवन में संचालित किए जाने का प्रावधान है।
विभागीय पर्यवेक्षण और ठेकेदारों की लापरवाही के कारण आंगनबाड़ी भवन अधूरे पड़े हैं। उक्त अधूरे पड़े आंगनवाड़ी का भवन स्थानीय ग्रामीणों के गाय बैल बांधने का काम आ रहे हैं। जो कि निर्माण कार्य पूर्ण होने से पहले ही खंडहर में तब्दील भी होते जा रहा है। ताजा मामला खरौंदी प्रखंड के चंदनी पंचायत अंतर्गत कुशवादामर आंगनबाड़ी केंद्र का है।
कुशवादामर प्राथमिक स्कूल के पास 6.12 लाख की लागत से बनने वाला आंगनवाड़ी केंद्र का भवन पिछले दो वर्षों से अधूरा है। गांव के सदाराम भारती उस आंगनवाड़ी केंद्र में गाय, बैल और बकरी बांधते है। इस संबंध में पूछे जाने पर आंगनबाड़ी भवन का ठेकेदार मदन राम ने बताया कि आंगनबाड़ी भवन निर्माण की स्वीकृति मिलने के बाद उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय कुशवादामर के पास भवन निर्माण का कार्य शुरू किया गया था।
भवन की छत ढलाई तक कोई विवाद नहीं था। इसी बीच गांव के ही कोई सदाराम नामक ग्रामीण और उसका बेटा पिंटू भारती आकर काम को रोक देता है। उन लोगों का कहना है कि यह जो भवन बन रहा है वह भूमि उसका निजी भूमि है। जिस कारण भवन निर्माण विवादित हो गया और इस विवाद की वजह से वह निर्माण कार्य को पूर्ण नहीं करा पाए।
15 दिन पूर्व अमीन को लेकर अंचल निरीक्षक आए थे। विवाद कर रहा व्यक्ति सदाराम और उसके पुत्र पिंटू भारती को समझाया- बुझाया गया और समझौता हो गया था। लेकिन कुछ दिन बाद में वह मुकर गया। हालांकि उक्त जमीन झारखंड सरकार, वन विभाग अथवा विवाद कर रहे व्यक्ति का है वह तो नापी अथवा सीमांकन के बाद ही पता चल सकेगा। लेकिन उक्त विवाद की वजह से निर्माण अधूरा पड़ा हुआ है। जबकि भवन फिनिशिंग के निमित्त आंगनबाड़ी केंद्र का खिड़की और दरवाजा सब ला कर रखा हुआ है।
टीएचआर वितरण में धांधली करती है सेविका, बिना जानकारी के ही कर देती है वितरण : -इधर प्रखंड के आंगनबाड़ियों में संचालित योजनाओं में व्यापक गड़बड़ी की भी शिकायत मिल रही है। विधायक प्रतिनिधि जितेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों में सेविका पोषाहार वितरण में धांधली करती है और बिना किसी को जानकारी दिए ही वितरण कर देती है।
उन्होंने कहा कि टीएचआर का वितरण आंगनबाड़ी विकास समिति की देखरेख में नहीं किया जा रहा है। कई ऐसे लाभुक हैं जिनके नाम पर टीएचआर का उठाव तो हो जा रहा है। लेकिन उन्हें वह मिलता नहीं है। स्थिति यह है कि उन लाभुकों को उनके नाम से टीएचआर उठाव का पता तक नहीं चलता।
आंगनबाड़ी केंद्रों का धरातल पर कभी भौतिक पर्यवेक्षण नहीं करती दोनों पर्यवेक्षिका : विधायक प्रतिनिधि ने बताया की ऐसा आंगनवाड़ी सुपरवाइजर और संबंधित आंगनवाड़ी केंद्रों के सेविकाओं की मिलीभगत से हो रहा है। प्रखंड के आंगनबाड़ी केंद्रों और केंद्रों में संचालित पोषण योजनाओं की पर्यवेक्षण के लिए जवाबदेह दोनों पर्यवेक्षिकाओं रिंकी कुमारी और सुचिता कुमारी भवनाथपुर से ही अपने डेरे में बैठकर प्रखंड के आंगनबाड़ी व केन्द्रों में संचालित योजनाओं का पर्यवेक्षण करती हैं। इन्हें प्रखंड के आंगनबाड़ी केंद्रों में संचालित योजनाओं का धरातल पर जाकर भौतिक पर्यवेक्षण करते हुए कभी नहीं देखा जाता।
बिना केन्द्र पर गए अथवा भौतिक पर्यवेक्षण के ही दोनों आंगनवाड़ी पर्यवेक्षिका आंगनबाड़ी सेविकाओं व सहायिकाओं से फोन पर ही कागजी रिपोर्ट/जानकारियां लेकर पर्यवेक्षण की खानापूर्ति करती हैं। इनके द्वारा आंगनवाड़ी केन्द्रों का धरातल पर जाकर भौतिक पर्यवेक्षण नहीं किए जाने के बारे में जानकारी बाद जिले का बाल विकास विभाग इनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं करता और बड़े आराम से ये लोग भवनाथपुर अपने डेरे/घर में रहकर ही नियमित रूप से पुरा वेतन उठा रही हैं।
ऐसा प्रतीत होता है मानों इन्हे विभाग से समर्थन प्राप्त हो। नियमित रूप से लाभार्थियों को नहीं मिल रहा है पोषण योजनाओं का लाभ : खरौंधी प्रखंड में 49 आंगनबाड़ी केंद्र हैं सभी केंद्रों में 30-30 बच्चों के नामांकन का प्रावधान है। इनमें एक दो केन्द्रों जहां की आबादी ज्यादा है में 35 बच्चों का नामांकन का परमिशन है। और ज्यादा आबादी पोषक क्षेत्र वाले एक केंद्र में 40 बच्चों का भी नामांकन का परमिशन है।
आंगनबाड़ी केंद्रों में नामांकित 7 माह से 3 वर्ष के बच्चों को बेहतर पोषण के लिए एक माह में 24 दिन 4 पैकेट रेडी टू ईट पैकेट वितरण करने का प्रावधान है। जबकि आंगनवाड़ी संचालन के दौरान बच्चों को सुबह नाश्ते में सूजी का हलवा, 11:00 बजे गुड़ बदाम और दोपहर में खिचड़ी या दाल चावल दिए जाने की सरकारी व्यवस्था है। इसी प्रकार रेडी टू ईट पोषाहार का आंगनवाड़ी पोषक क्षेत्र के गर्भवती और धात्री महिलाओं को भी दो पैकेट मीठा और दो पैकेट नमकीन रेडी टू ईट देने का प्रावधान है। लेकिन विभागीय अधिकारियों और आंगनवाड़ी सुपरवाइजरों द्वारा धरातल पर आंगनबाड़ी केन्द्रों और केंद्रों में संचालित पोषण योजनाओं का भौतिक पर्यवेक्षण नहीं किए जाने के कारण बच्चों, गर्भवती व धातृ महिलाओं को उक्त पोषण योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
विधायक प्रतिनिधि जितेंद्र प्रसाद यादव ने बताया कि स्थिति यह है कि नौनिहालों की बेहतर पोषण के लिए सरकार की यह महत्वाकांक्षी पोषण योजना में पोषाहारों की कालाबाजारी कर दी जा रही है अथवा यह भ्रष्टाचार का भेंट चढ़ जा रहा है।
आरोपों के संबंध में पूछे जाने पर पर्यवेक्षिका रिंकी कुमारी ने बताया कि पर्यवेक्षण नहीं करने का लगाया गया आरोप निराधार है। उन्हें 3 ब्लॉक में आंगनबाड़ी केंद्र आवंटित हैं। ऐसे में वे हर संभव पर्यवेक्षण करने का प्रयास करती हैं।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.