गढ़वा शहरी पेयजलापूर्ति योजना स्वीकृति के नौ वर्ष बाद पूर्ण होने के कगार पर पहुंच गई है। तकनीकी निर्माण पूर्ण कर लिया गया है। ट्रायल की प्रक्रिया पूरी होते ही लोगों को पानी मिलने लगेगा। जून के प्रथम सप्ताह में पानी मिलने की उम्मीद है। वर्ष 2013 में स्वीकृत इस योजना की लागत स्वीकृति के समय 37 करोड़ 85 लाख रुपए थी।
इसके तहत 10 हजार पांच सौ कनेक्शन देने की लक्ष्य रखा गया है। जिससे करीब 52 हजार आबादी को फायदा होगा। नगर परिषद के माध्यम से शहरवासियों को कनेक्शन मिलेगा। इसके लिए पेयजल और स्वच्छता विभाग से समन्वय स्थापित कर प्रक्रिया पूरी की जा रही है।
पेयजलापूर्ति योजना को अगले 30 वर्षों को ध्यान में रखकर तैयार करने का प्रावधान है। शहरी पेयजलापूर्ति योजना के तहत शहर में चार जगहों पर पानी की टंकी बनाई गई है। वहीं सोनपुरवा मोहल्ले में 17 लाख 50 हजार लीटर क्षमता का जल शोध केंद्र (ट्रीटमेंट प्लांट) का निर्माण किया गया है। जहां से चारों पानी टंकी में पानी पहुंचाई जाएगी।
पाइप-लाइन से पहुंचेगा पानी
ट्रीटमेंट प्लांट में सदर प्रखंड के बेलचंपा स्थित कोयल नदी से करीब दस किलोमीटर दूरी से पाइप-लाइन के माध्यम से पानी पहुंचाया जाएगा। नदी के किनारे में इंटेक वेल बनाया गया है।
पानी आपूर्ति के लिए सोनपुरवा मोहल्ले में 13.5 लाख लीटर क्षमता वाला, बाजार समिति के पास नौ लाख लीटर, बिजली कार्यालय परिसर में 11.5 लाख लीटर व टंडवा मोहल्ला में 7.5 लाख लीटर क्षमता वाला पानी टंकी का निर्माण कराया गया है।
इस योजना को पूर्ण होने से शहर में वाटर लेबल भी बढ़ेगा। कुल मिलाकर शहर के लोगों को पहले दानरो नदी से मिलता था पानी और अब कोयल नदी से पानी मिलेगा।
जून के प्रथम सप्ताह से लोगों को मिलेगा योजना का लाभ : ईई
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता प्रदीप कुमार ने कहा कि शहरी पेयजलापूर्ति योजना का लाभ गढ़वा के लोगों को जून के प्रथम सप्ताह से मिलना शुरू हो जाएगा। सभी प्रकार का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। ट्रायल की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
शुरूआती दौर में जब तक कनेक्शन का कार्य पूर्ण नहीं कर लिया जाता है तब तक वैसे स्थानों पर नल के माध्यम से पानी लोगों को मिल सकेगा। ताकि लोगों को पानी के ट्रैंकर पर आश्रित नहीं होना पड़े। हालांकि हाउस कनेक्शन के लिए प्रक्रिया भी सामांतर रूप से चल रही है।
उन्होंने कहा कि इस योजना से शहर में वाटर लेबल में भी वृद्धि होगी। नगर परिषद के माध्यम से निश्शुल्क कनेक्शन का कार्य किया जाएगा। बाद में पानी की पैसा पर विचार किया जाएगा। ईई ने कहा कि लोगों को भविष्य में पानी के लिए तरसना नहीं पड़े इसके लिए अभी से पानी को बचाने के लिए भी सोचना होगा। सभी को अपने-अपने घरों में सोख्ता या गड्ढा बनाकर पानी को बहने से रोकना होगा। नाली में जाने वाला पानी बर्बाद हो जाता है।
धड़ल्ले से हो रही बोरिंग और बढ़ती जनसंख्या के कारण घट रहा है जलस्तर
गढ़वा शहर में वर्ष 1967 में पहला पेयजलापूर्ति योजना तैयार की गई थी। इसे भी 30 वर्षों तक ध्यान में रखकर तैयार किया गया था। इस योजना को पूर्ण हुए 55 वर्ष गुजर जाने के बाद भी लोगों को लाभ मिल रहा है। जिससे वर्तमान में दानरो नदी सूखने के कारण गर्मी के मौसम में प्रत्येक दो दिन पर करीब एक लाख लीटर पानी उपलब्ध हो पाता है।
विभागीय अधिकारियों की मानें तो प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन करीब 55 लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है। जानकारों का कहना है कि धड़ल्ले से किए जा रहे बोरिंग और बढ़ती जनसंख्या के कारण भी जल स्तर नीचे जा रहा है। वहीं पर्यावरण भी संतुलित नहीं है।
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