पुलिस पर आदिवासियों ने तीर-कमान से हमला किया:झारखंड में कोल प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे थे, लाठीचार्ज हुआ तो भड़के

गोड्डा2 महीने पहले
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झड़प में कई आदिवासियों को भी गंभीर चोटें आई हैं।

झारखंड के गोड्डा में गुरुवार को आदिवासियों ने पुलिस पर तीर-कमान से हमला कर दिया। आदिवासी कोयला खनन को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस ने आदिवासियों पर लाठीचार्ज कर दिया। इसके बाद आदिवासी भड़क गए और हमला कर दिया। झड़प में SDOP समेत 5 जवान और कई आदिवासी भी घायल हुए हैं।

गोड्डा में इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की राजमहल-ललमटिया कोल परियोजना चल रही है। आदिवासी कई दिनों से इसका विरोध कर रहे हैं। पुलिस गुरुवार को मामले को शांत कराने पहुंची तो आदिवासियों से झड़प हो गई। इलाके में अब भी तनाव की स्थिति है।

पुलिस और आदिवासियों की झड़प की तस्वीरें...

स्थानीय लोग बुधवार से ही तीर-धनुष और परंपरागत हथियारों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
स्थानीय लोग बुधवार से ही तीर-धनुष और परंपरागत हथियारों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
मौके पर एक हजार से अधिक पुलिस के जवान तैनात हैं।
मौके पर एक हजार से अधिक पुलिस के जवान तैनात हैं।
गुरुवार को स्थानीय लोगों को हटाने पर वे उग्र हो गए। पत्थरबाजी भी शुरू हुई।
गुरुवार को स्थानीय लोगों को हटाने पर वे उग्र हो गए। पत्थरबाजी भी शुरू हुई।

1 हजार जवान तैनात, आदिवासियों को गांव से दूर खदेड़ा

पुलिस ने गांव से दूर लेकर भीड़ को खदेड़ा है। कई आदिवासियों को भी गंभीर चोटें आई हैं। ECL और जिला प्रशासन के अफसरों के साथ सुरक्षा बलों के एक हजार से ज्यादा जवान इलाके में मौजूद हैं। दूसरी तरफ हजारों की संख्या में आदिवासी तीर-धनुष लेकर विरोध कर रहे हैं।

आदिवासी नारा लगा रहे हैं - जान देंगे, जमीन नहीं देंगे, पुलिस-प्रशासन वापस जाओ। विरोध प्रदर्शन में स्त्री, पुरुष और बच्चे शामिल हैं। महगामा अनुमंडल प्रशासन ने तनाव को देखते हुए पूरे इलाके में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है। इलाके में तनाव की स्थिति है।

पहले भी प्रशासन और आदिवासियों में हो चुका है टकराव
यह पहली बार नहीं है जब ग्रामीण और प्रशासन के बीच टकराव की स्थिति बनी है। इससे पहले भी ग्रामीणों और प्रशासन के बीच टकराव हुआ है। छह महीने पहले ही तालझारी गांव में बातचीत के लिए गए ECL के CMD को ग्रामीणों ने बंधक भी बना लिया था। जिला प्रशासन के हस्तक्षेप से उन्हें मुक्त कराया गया था।

आदिवासियों की दलील- उजड़ गए तो रोटी-रोजगार मुश्किल
ECL का कहना है कि उसने आदिवासी रैयतों की जमीन ली है, उन्हें अब तक 10 करोड़ रुपए से अधिक का मुआवजा दे दिया गया है। 22 रैयतों को राजमहल परियोजना में नौकरी भी दी गई है। इसके बावजूद भी स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं। ECL की राजमहल परियोजना के कोयले से NTPC के दो पावर प्लांट चलते है। तालझारी के आदिवासी रैयत इस बात पर अड़े हैं कि वे इस जमीन पर काम शुरू नहीं होने देंगे। यहां से उजड़े तो लगभग 200 परिवारों के सामने रोजी-रोटी का गंभीर संकट पैदा हो जाएगा।

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