कारोबारियों के दावे की हुई पुष्टि:चौपारण में 500 एकड़ से अधिक जमीन पर की गई अफीम की खेती, पुलिस ने 75 एकड़ को किया नष्ट

हजारीबाग2 महीने पहलेलेखक: सुबोध, मनोज और हरेंद्र
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हजारीबाग जिले के विभिन्न प्रखंड के जंगली क्षेत्रों में लहलहाती अफीम की खेती को नष्ट करने का दावा वन विभाग और पुलिस प्रशासन करता रहा लेकिन सच यह है कि जिस खेती को इन्होंने नष्ट किया उस खेत में अफीम के पौधे फूल और फल देने लगे हैं।

दैनिक भास्कर ने स्टिंग ऑपरेशन के दौरान एक कारोबारी से बातचीत में खुलासा किया था कि कारोबारी कहते हैं कि इस अफीम की खेती में किसी भी स्थिति में पूंजी नहीं डूबती है नष्ट कर देने के बाद भी फिर से पौधे उगते हैं और फल देते हैं। हां यह सच है कि जितने की खेती होती है उसका अधिकतर पौधा नष्ट हो जाता है।

इस विनाशकारी कारोबार में कारोबारी अक्सर सफल होते रहे हैं। क्योंकि इनका मानना है कि अफीम के नस नस में नशा होता है नशा के कारोबार में मुनाफा सुनिश्चित होता है। नष्ट किए गए खेतों में फिर से फल फूल दे रहे अफीम के पौधे सवाल खड़े कर रहे हैं कि आखिर इतने बड़े पैमाने पर जब खेती की जा रही होती थी तब वन विभाग क्या कर रहा होता है। जब अफीम के पौधे लहलहाने लगते हैं तब इन्हें जानकारी मिलती है और वे नष्ट करने के लिए आगे आते हैं लेकिन खेती की प्रक्रिया में लंबे समय लगते हैं। इस दौरान इन्हें क्यों नहीं जानकारी मिल पाती है?

गौतम बुद्धा वन्य प्राणी आश्रयणी के भूभाग का हो रहा इस्तेमाल
गौतम बुद्धा वन्य प्राणी आश्रयणी के बड़े भूभाग का इस्तेमाल पोस्ते अफीम की खेती के लिए हो रही है। आश्रयणी क्षेत्र के लगभग चार सौ एकड़ से अधिक भूमि पर अफीम लगाये गये हैं। वहीं प्रादेशिक वन भूमि प्रक्षेत्र के लगभग सौ एकड़ भूमि का इस्तेमाल अफीम तस्कर कर रहे हैं।

वन कानून इस पर अंकुश लगाने में अक्षम साबित हो रहे हैं। वन विभाग के हर तंत्र इस अनैतिक कार्य को नहीं रोक पा रहा। इससे वन विभाग की ओर से तस्करों को मिल रहे सहमति की आशंका की पुष्टि करती है।

इन इलाकों में हो रही खेती: चौपारण के सघन जंगल से घिरे दुरागढा, मोरनियां, सिकदा, करगा, अंजान, ढोढिया, पत्थलगड्डा, जमुनिया तरी, अहरी, नावाडीह, भदेल, बिगहा, चमरगड्डा, डोमाडाडी, बहेरवातरी, खैराटांड, मैसोखार, जागोडीह,करमा, असनाचुंआ आदि जंगल में बसे गांवों के बाहरी क्षेत्र में, केरेडारी के लोहरा मनातू, गोपदा, निरी जंगल के वन भूमि शामिल हैं।

यहां लहलहा रही है 15 दिन पूर्व नष्ट की गई अफीम

हजारीबाग के केरेडारी थाना क्षेत्र के लोहरा में हाल ही में पुलिस प्रशासन और वन विभाग ने 4 से 5 एकड़ वन भूमि पर लगाए गए अफीम के पौधों को नष्ट किया था लेकिन जब फिर से वन विभाग के अधिकारी और कर्मी उसी जमीन पर गए तो वहां देखा गया कि लोहरा में अफीम के पौधे फल देने लगे हैं। फूल भी रहे हैं और लहलहा रहे हैं। केरेडारी थाना क्षेत्र के लोहरा मनातू समेत कई सुदूरवर्ती जंगली क्षेत्रों में 20 एकड़ से अधिक भूभाग में अफीम की खेती की गई है। जबकि चौपारण थाना क्षेत्र के जंगली क्षेत्रों में 500 एकड़ से अधिक भूभाग में अफीम की खेती की गई है।

जिसमें 75 एकड़ में अफीम की खेती को नष्ट किए जाने का दावा पुलिस प्रशासन और वन विभाग की है। पुलिस प्रशासन ने भी माना था कि यह कुल खेती का कुछ फीसदी ही नष्ट किया गया है। अभी बहुत अफीम की खेती नष्ट किया जाना बाकी है ।लेकिन आखिर एक माह में और खेती को नष्ट किए जाने की प्रक्रिया पूरी क्यों नहीं की गई यह भी अहम सवाल है।

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