विनोबा भावे विश्वविद्यालय और संत कोलंबा कॉलेज हजारीबाग के बीच चल रहे शीतयुद्ध में संत कोलंबा में पढ़ने वाले बीएड के प्रशिक्षु पिस रहे हैं। प्रशिक्षुओं के लिए बना भवन किसी तरह प्रोवीसी ने खुलवा दिया। भवन में प्रशिक्षुओं को बैठने के लिए कॉलेज प्रशासन ने दरी उपलब्ध कराया है।
विभाग का अपना एक भी बेंच डेस्क तक नहीं है। प्रशिक्षुओं की कक्षाएं दूसरे वैसे विभागों में ली जाती है जिनमें क्लास किसी वजह से नहीं लिया जा रहा हो। प्रशिक्षुओं के लिए वर्तमान में कोई स्थाई क्लासरूम नहीं है।
बीएड के लिए बेंच डेस्क की राशि विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराना है। कॉलेज के प्राचार्य पर चल रहे वित्तीय अनियमितता की जांच कार्रवाई के बाद विश्वविद्यालय और प्रचार के बीच शीतयुद्ध चल रहा है। विश्वविद्यालय ने प्राचार्य को निलंबित कर दिया था।
बाद में विरोध होने पर निर्णय को वापस लेना पड़ा और प्राचार्य का वित्तीय अधिकार छीन लिया गया। प्राचार्य को हटाए जाने की अनुशंसा सिंडिकेट ने राजभवन को भेजा है। प्राचार्य के विरुद्ध ठोस कार्रवाई नहीं कर पाने की स्थिति में विश्वविद्यालय और कॉलेज के बीच की खाई बड़ी हो गई है।
एनसीटीई से निर्धारित एक लैब भी नहीं
बीएड का पाठ्यक्रम चलाने के लिए विभाग में एनसीटीई से निर्धारित एक भी लैब तैयार नहीं किया गया है। जिले में संचालित प्राइवेट बीएड कॉलेज की तुलना में एसएफएस कॉलेज का शुल्क कम था इसको लेकर कॉलेज में सुविधा नहीं होने के बाद भी विद्यार्थी नामांकन करा लेते थे अब प्राइवेट और एसएफएस दोनों के शुल्क लगभग बराबर हो गए हैं ऐसा होने से एसएफएस कॉलेज में नामांकन पर भी असर पड़ेगा।
फीस के पैसे से होनी है खरीद
संत कोलंबा कॉलेज हजारीबाग में चल रहा बी एड विभाग स्ववित्तपोषित योजना के तहत संचालित है। ऐसे विभाग में सभी खर्चे प्रशिक्षु विद्यार्थियों से लिए जाने वाले फीस से वहन होता है। प्रशिक्षण से मिलने वाले फीस को विश्वविद्यालय के निगरानी वाले अकाउंट में डाला जाता है जमा हुई कुल राशि का 80% विश्वविद्यालय कॉलेज को खर्च करने की अनुमति देता है।
20% राशि विश्वविद्यालय प्रबंधन के लिए रख लेता है। वर्तमान में प्रति प्रशिक्षु ₹90000 का शुल्क निर्धारित है। अगले सत्र से शुल्क को बढ़ाकर ₹130000 कर दिया गया है। विश्वविद्यालय ने शुल्क बढ़ोतरी कर दिया लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं बढ़ाया है।
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