हजारीबाग नगर निगम क्षेत्र में प्रमुख मार्ग सहित विभिन्न रोड गलियों में अतिक्रमण की समस्या है। अतिक्रमण के चलते सार्वजनिक मार्ग सिकुड़ते चले जा रहे हैं। जबकि शहरी क्षेत्र में बढ़ती जनसंख्या, वाहन, व्यवसायिक क्षेत्र आदि में वृद्धि के चलते तंग सड़कों पर जाम की समस्या आम होती जा रही है।
इन समस्याओं के समाधान के लिए कुछ वर्ष पूर्व हजारीबाग नगर निगम क्षेत्र में सड़कों के सर्वे का कार्य किया जा रहा था। यह सर्वे हैदराबाद की एक कंसल्टेंसी फर्म एनसीपीई द्वारा किया गया था। कंपनी के लोग करीब एक महीने तक हजारीबाग में रहकर शहर के 33 सड़कों का सर्वे किया मगर सर्वे की रिपोर्ट सामने नहीं आई।
अतिक्रमण से सिकुड़ती जा रही है शहर की सड़कें, लगता रहता है ट्रैफिक जाम, यात्री रहते हैं परेशान
2016 में किया गया था सर्वे
हजारीबाग शहरी क्षेत्र में सर्व का कार्य 2016 में किया गया था। इसके लिए कंसल्टेंट की नियुक्ति झारखंड स्तर से की गई थी। सर्वे के बाद उस कंपनी को शहर की सड़कों के सुंदरीकरण के लिए डीपीआर तैयार करना था। डीपीआर केंद्र सरकार को सौंपने की बात कही गई थी। सरकार की स्वीकृति और आवंटन प्राप्त होने के बाद उस पर कार्य होना था। 2016 में सर्वे टीम के लीडर के रूप में हजारीबाग आए रामा चौहान के कथनानुसार सर्वे में प्रयुक्त उपकरण एवं साफ्टवेयर की मदद से वर्तमान स्थिति के अतिरिक्त यह पता लगाया जा सकता है कि सड़क में किस जगह कितना अतिक्रमण हुआ है और सड़क की वास्तविक स्थिति क्या थी। सड़क किनारे नाली, पुल पुलिया, झोपड़पट्टी, ऊंची इमारत, मॉल, चौराहों की स्थिति दर्ज होने के साथ इसके आधार पर यह भी निकाला जा सकता है कि सड़क को चौड़ा करने के लिए किस जगह कितनी जमीन लेनी पड़ेगी या रेंज में आने वाले बिल्डिंग का कितना हिस्सा मुक्त कराना होगा।
कोई अधिकृत अधिकारी नहीं हैं, जो जानकारी दे सके
सर्वे के नतीजे में शहर के 33 सड़कों में किस सड़क पर कितने बस, कार, स्कूल वैन, ट्रक, दोपहिया, तीनपहिया वाहन के लोड के हिसाब से सड़क की चौड़ाई कितनी होनी चाहिए, इन सब बातों का खाका खींचा जाना था। मगर सर्वे के नतीजे सामने नहीं। संयोग से वर्तमान में सर्वे काल 2016 के समय के कोई जिम्मेदार अधिकारी निगम में नहीं हैं, जो अधिकृत रूप से सर्वे के नतीजे के बारे में जानकारी दे सकें।
राज्य स्तर से ही हुई थी कंसल्टेंट की नियुक्ति
नगर निगम में कार्यरत एक अभियंता ने कहा कि कंसल्टेंट की नियुक्ति राज्य स्तर से ही हुई थी। कंपनी ने हजारीबाग नगर निगम को कोई रिपोर्ट नहीं सौंपा और ना फिर उसका कोई नुमाइंदा यहां आया। रिपोर्ट सरकार को सौंपा या नहीं सौंपा। सर्वे का फाइंडिंग क्या है, इस संबंध में नगर निगम के पास कोई रिपोर्ट नहीं है।
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