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पश्चिमी सिंहभूम जिला के पोड़ाहाट जंगल में एकछत्र शासन चलाने वाले जोनल कमांडर जीवन कंडुलना उर्फ पतरस कंडुलना के सरेंडर करने से चाईबासा पुलिस को जहां बड़ी राहत मिली है, वहीं अब पोड़ाहाट जंगल नक्सल मुक्त होने के अंतिम पायदान पर चल रहा है। अब चाहे पुलिस द्वारा लगातार सर्च अभियान चलाने का परिणाम हो या पारिवारिक दबाव या राजनीतिक खेल।
खैर मामला चाहे जो भी हो मगर यह पुलिस के लिए बड़ी उपलब्धि है। वैसे तो पश्चिमी सिंहभूम जिला जहां सात सौ पहाड़ियों से घिरा है, वहीं पहाड़ और जंगल का लाभ हमेशा नक्सलियों को मिलता रहा है।इसके कारण एक समय पुलिस पर भाड़ी पे रहे थे नक्सली, लेकिन आज नक्सलियों पर भाड़ी पर रही है पुलिस।
पिछले कुछ माह से जिस तरह जिले में नक्सलियों के विरूद्ध चाईबासा पुलिस, सीअरपीएफ, जगुआर और कोबरा बटालियन ने सर्च ऑपरेशन चालाया गया, उससे नक्सलियों को मुंह की खानी पड़ रही थी और वे भाग रहे थे। पुलिस की मानें तो पिछले तीन-चार महीने से जीवन कंडुलना उर्फ पतरस कंडुलना की पोड़ाहाट में चहलकदमी बढ़ गई थी।
दबिश बढ़ी तो सारंडा छोड़ पोड़ाहाट जंगल को बनाया आशियाना
इधर, जीवन कंडुलना के सरेंडर करने से महाराजा प्रमाणिक दस्ता भी सहमा हुआ है। ज्ञात हो कि इसी तरह एक दशक पहले सारंडा में नक्सल हावी हुआ करता था, जब नक्सलियों के विरूद्ध पुलिस की दबिश बढ़ी तो सारंडा छोड़ पोड़ाहाट जंगल को अपना आशियाना बनाया। ठीक दस साल बाद फिर एक बार पुलिस की दबिश नक्सलियों के विरूद्ध पोड़ाहाट जंगल में बढ़ी तो जीवन कंडुलना काे सरेंडर करना पड़ा।
अब चर्चा यह भी है कि नक्सली जीवन कंडुलना को भी इस बात को लेकर भय सताने लगा कि पुलिस कहीं उसका भी एनकाउंटर न कर दे, क्योंकि जीवन ने चक्रधरपुर एसडीपीओ अंगरक्षक की गोली मारकर हत्या कर दी थी। वहीं, एक एसपीओ कृष्णा सवैया को मार डाला था।
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