चक्रवाती तूफान के कहर से किसान उबर नहीं पा रहे हैं। गालूडीह तथा आसपास के क्षेत्रों करीब 300 एकड़ में काटकर रखे गए धान फसल को पानी से बचाने के लिए हर तरह के जतन कर रहे है। इसके बाद भी पानी सेे काटकर रखे गए धान भींग गया है। इससे किसान चितिंत है।
किसानों ने बारिश से बचाव के लिए किसी तरह तिरपाल से कुछ धान फसल को बचाने का प्रयास किया है। लगातार दो दिनों तक रूक-रुककर बारिश होने से कटी कटाई फसल भीग गई जबकि खेतों में कटने को तैयार खड़ी फसल को भी नुकसान पहुंचा है। देर से हो रही धान खरीदी के बाद बेमौसम हो रही इस बरसात से किसानों के माथे पर बल पड़ गए हैं। कई छोटे खेतों में तो पानी भरने से फसल के सड़ने की भी आशंका है। अब जब तक कड़ी धूप न निकले फसल को सुखाना टेढ़ी खीर है। दीपावली के बाद किसान खलिहान के तैयारी में ही लगे थे कि बरसात ने इस पर भी विराम लगा दिया।
कुछ एक जगहों पर खलिहान में धान की फसल को काटकर इकठ्ठा करना शुरू हुआ भी था तो अब उन ढेरियों को भीगने से बचाने की जुगत लगानी पड़ रही है। हालांकि इसके बाद भी ढेरियों में पानी घुस ही गया जिसे सुखाना मुश्किल होगा।
त्योहार और बेमौसम बारिश के चलते पहले से पिछड़े फसल कटाई के काम में पड़ने वाली इस अप्रत्याशित बाधा ने जहां एक ओर उत्पादन में कमी की आशंका पैदा की है वहीं दूसरी ओर किसानों के सिर पर अतिरिक्त काम का बोझ भी बढ़ गया है।
इस खरीफ के सीजन में बरसात के लंबा खींचने के कारण गीले खेत सूख भी नहीं पाए हैं। अंचल के अधिकांश रकबे में हार्वेस्टर की कटाई संभावना पहले ही समाप्त हो गई है, कुछ रकबे में हार्वेस्टर चलने की संभावना पर भी इस बरसात ने पूरी तरह पानी फेर दिया है। किसानों के पास पारंपरिक तरीके से मजदूरों से कटाई करवाकर खलिहान में मिसाई का विकल्प रह गया है।
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