झारखंड में इस तरह का पहला मामला:काेल्हान के तीनों संस्कृत विद्यालयों ने मुस्लिम बच्चाें को एडमिशन देने से मना किया, बाेले- हमें माैखिक आदेश है

जमशेदपुर2 वर्ष पहले
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फाइल फोटो - Dainik Bhaskar
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  • चाईबासा, चक्रधरपुर और सरायकेला-खरसावां के मान्यता प्राप्त संस्कृत स्कूलों में मुस्लिम छात्रों से भेदभाव
  • राजकीयकृत संस्कृत उच्च विद्यालय चाईबासा में एक दर्जन से अधिक मुस्लिम छात्रों के दाखिले की प्रक्रिया रद्द की गई
  • नाम सुनते ही स्कूलाें ने कहा- नहीं ले सकते दाखिला

काेल्हान के संस्कृत विद्यालयाें ने मध्यमा यानी दसवीं में मुस्लिम छात्राें का एडमिशन लेने से मना किया है। उनका कहना है - ये संस्कृत विद्यालय हैं, यहां मुस्लिम बच्चाें का एडमिशन नहीं ले सकते, उनके लिए मदरसा हैं। उनका दावा है कि झारखंड अधिविद्य परिषद (जैक) ने इसके लिए माैखिक आदेश दिया है। राज्य में ऐसा पहली बार है जब मान्यता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों ने मुस्लिम छात्राें को एडमिशन देने से इनकार किया है। कोल्हान में तीन संस्कृत विद्यालय हैं, जहां पहली से दसवीं तक पढ़ाई हो रही है।

राजकीयकृत संस्कृत उच्च विद्यालय चाईबासा ने एक दर्जन से अधिक मुस्लिम बच्चाें का दाखिला लिया था, अब आवेदन काे रद्द कर रहे हैं। मानगो, जमशेदपुर के शादिक हुसैन का कहना है कि मैं और मेरे जैसे कई मुस्लिम बच्चे संस्कृत पढ़ना चाहते हैं। हमें सिर्फ संस्कृत विद्यालयों में इसलिए दाखिला नहीं दिया जा रहा क्योंकि हम मुस्लिम हैं। इधर, जैक ने स्कूलाें काे चेतावनी दी है कि अगर मुस्लिम बच्चाें का दाखिला लिया ताे स्कूल की मान्यता रद्द करेंगे।

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नहीं मिल रहा प्रवेश, तीनों स्कूलों ने लाैटाया

मानगाे के आशमीन काैशर, मो. हारून खान, सुल्ताना परवीन व शादिक हुसैन समेत एक दर्जन से अधिक छात्रों ने आदिवासी संस्कृत प्राथमिक, मध्यम सह उवि चक्रधरपुर में आवेदन दिया था। लेकिन उन्हें स्कूल ने एडमिशन देने से मना कर दिया। इसके बाद बच्चाें ने राजकीयकृत संस्कृत उच्च विद्यालय चाईबासा व आदिवासी संस्कृत उवि सरायकेला खरसावां के स्कूलों में भी एडमिशन की कोशिश की लेकिन वहां प्रवेश नहीं मिला। दरअसल जमशेदपुर में संस्कृत विद्यालय नहीं हाेने से मध्यमा करने के लिए इच्छुक अधिकतर छात्र काेल्हान के इन तीन संस्कृत विद्यालयाें में एडमिशन लेते हैं। पिछले वर्ष इन तीन स्कूलाें में दसवीं में नामांकित बच्चाें की संख्या करीब 3500 थी, जिसमें से 435 से अधिक मुस्लिम बच्चे थे। ये छात्र परीक्षा में शामिल हाेकर पास भी हुए।

जैक को-ऑर्डिनेटर बोले- मुस्लिम बच्चे वेद नहीं पढ़ते, दाखिला कैसे हो सकता है?

मुस्लिम बच्चाें काे सामान्य स्कूलाें में दाखिला लेना चाहिए। पास हाेने के लिए संस्कृत विद्यालय में एडमिशन लेना सही नहीं है। वे वेद नहीं पढ़ते हैं, इसलिए उनका दाखिला कैसे हाे सकता है। जहां तक बात पिछले वर्ष दाखिले की है ताे यह जरूरी नहीं है कि जाे पिछले वर्ष हुआ हाे वो इस वर्ष भी हाे।

- काैशल मिश्र, दसवीं, काे-ऑर्डिनेटर जैक

यह बहुत गलत है, कार्रवाई करेंगे

जैक ने ऐसा काेई आदेश नहीं जारी किया है, जिसमें कहा हाे कि मुस्लिम बच्चाें का एडमिशन नहीं लेना है। अगर ऐसा काेई स्कूल कर रहा है ताे यह गलत है। इसकी लिखित शिकायत हमें करें हम संबंधित स्कूल पर कार्रवाई करेंगे। जहां तक माैखिक आदेश की बात है ताे सरकारी कार्यालय में कुछ भी माैखिक नहीं हाेता है।
-डाॅ. अरविंद सिंह, जैक अध्यक्ष झारखंड, रांची