यौम-ए-आशूरा यानी मुहर्रम की दसवीं तारीख शुक्रवार को है। शुक्रवार की शाम दसवीं का जुलूस कर्बला स्थल बिष्टुपुर और साकची तक जाएगा। मुहर्रम की नवमी पर गुरुवार को शहरभर में शिया और सुन्नी मुसलमानों ने हजरत इमाम हुसैन की याद में फातेहा व नजर पेश किया। घरों व इमामबाड़ाें में 12 इमाम के नाम से फातेहा कराया। दिन भर लंगर का दौर चला। वहीं, इस वर्ष भी कोरोना के चलते न तो मातमी जुलूस निकाला गया और न ही अखाड़ाें में जांबाजों ने हैरतअंगेज करतब दिखाए।
शिया समुदाय इस बार सारे मजलिस ऑनलाइन ही कर रहा है। हुसैनी वेलफेयर मिशन में शाम सात बजे से मजलिस शुरू हुई। सभी ने अपने-अपने घरों में मातम किया। इधर, शहर के जुगसलाई साकची, बिष्टुपुर, धातकीडीह, सोनारी, कदमा एम टू, शास्त्रीनगर, कीताडीह, मानगो आजादनगर, जवाहरनगर व कपाली में भी जुलूस स्थानीय मोहल्लों तक ही सीमित रहा। शुक्रवार को मुहर्रम की दसवीं पर फातेहा के साथ समापन होगा। वहीं, मुहर्रम की नवमी और दसवीं को रोजा रखने की परंपरा है। इसलिए मुसलमानों ने नवमी का रोजा रखा और शुक्रवार को भी रोजा रखा जाएगा।नवमी मुहर्रम को साकची मोहम्मडन लाइन स्थित इमामबाड़ा में प्याला भरा गया।
इधर, कदमा न्यू रानीकुदर रोड नंबर 4 में मुहर्रम की नवमी के दिन मुंज-ए-सलाम संस्था ने लंगर-ए-आम का आयोजन किया। हिंदू और मुसलमान भाइयों ने एक ही मंच पर लंगर खाकर एकता का परिचय दिया। लंगर में सैकड़ों हिंदू और मुसलमान भाई शामिल हुए। मौके पर मो. सिकंदर, शोएब अख्तर उर्फ मुन्ना, मो. इदरीश, मो. सलीम मौजूद थे।
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