महादेव का प्रिय महीना सावन इस बार 14 जुलाई से शुरू हो रहा है और 12 अगस्त काे समाप्त होगा। 30 दिनों के सावन में इस बार चार साेमवारी व्रत हाेगा। प्रथम साेमवारी 18 जुलाई, दूसरी साेमवारी 25 जुलाई, तीसरी साेमवारी 01 अगस्त और चाैथी साेमवारी 8 अगस्त काे है। वहीं 12 अगस्त काे श्रावण पूर्णिमा है। सावन मास को सर्वोत्तम मास कहा जाता है। मान्यता है कि सावन में भगवान भाेलेनाथ के रुद्राभिषेक, पार्थिव पूजा, शिव सहस्रनाम का पाठ करने से शिव की विशेष कृपा बरसती है। भगवान शिव को सावन का महीना प्रिय होने का कारण यह भी है कि भगवान शिव सावन के महीने में पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। इस बार गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई काे है। गुरु पूर्णिमा का महत्व भारतीय सनातन धर्म में प्राचीन काल से रहा है। 18 पुराणाें के रचयिता महर्षि वेद व्यास की जयंती भी गुरु पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है।
सावन के महीने का अंतिम दिन 12 अगस्त को
ज्योतिषाचार्य डॉ पंडित रमेश कुमार उपाध्याय ने बताया कि इस बार सावन का पावन मास श्रावण और विषकुंभ और प्रीति योग में शुरू हो रहा है। चंद्रमा मकर राशि में गोचर करेगा। इसलिए सावन के महीने में सच्चे मन से की गई भक्ति का पूर्ण फल मिलेगा और शिव की कृपा सदा बनी रहेगी। इस बार सावन के महीने में 4 सोमवारी पड़ रहा है। जिस साल पांच सोमवार पड़ते हैं वह वर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
सावन के महीने की पूजा-विधि: बेल्डीह शिव मंदिर के पं. उमेश पांडेय के अनुसार, श्रद्धालु सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें। सभी देवी-देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें। शिवलिंग पर गंगा जल-दूध चढ़ाएं या अभिषेक करें। भगवान शिव को पुष्प व बेल पत्र अर्पित करें। आरती कर भोग लगाएं। शिव का ध्यान करें।
सावन में शिव को ये चीजें करें अर्पित
भगवान शिव को सावन मास में पूजा के दौरान धतूरा, बेलपत्र, भांग के पत्ते, दूध, काले तिल और गुड़ अर्पित करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से शिव की कृपा बनी रहती है। सावन माह में शरीर पर तेल लगाने की मनाही है।
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