शहर की लाइफ लाइन कही जाने वाली जैत्री नदी के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। शहरी क्षेत्र के माटी कर वानपुर , राजहार से होकर औरंगा नदी में मिलने वाली नदी में शहर मोहल्ले से निकलने वाले नाले के गंदे पानी को कई जगह पर छोड़ा जा रहा है। इससे इसका पानी दूषित होता जा रहा है। शहरी क्षेत्र के अलावे मंगलवार के साप्ताहिक बाजार से निकलने वाली गंदगी और कचरे को भी इसी नदी में फेंका जा रहा है।
शहरी क्षेत्र में लगभग 5 किलोमीटर गली मोहल्ले से होकर गुजरने वाले नाले को कई जगह भूमि माफियाओं द्वारा अतिक्रमण भी किया जा रहा है। जिस जगह नदी किनारे खाली जमीन दिख रही है जमीन माफिया उस पर कब्जा जमा रहे हैं। भूमाफिया द्वारा नाले पर की जमीन को ऊंचे दाम पर बेचने के लिए मनमाने ढंग से ह्यूम पाइप लगाकर रास्ता भी बनाया जा रहा है।
शहरी क्षेत्र के बुद्धिजीवी बताते हैं कि बाजार टांड़ मंदिर के आसपास आम के बगीचे और स्वच्छ बहते पानी के कारण चार दशक पूर्व किसी भी तरह के धार्मिक अनुष्ठान के शादी समारोह में आने वाले लोगों को ठहरने का यह सबसे प्रसिद्ध जगह जाना जाता था। जहां लोग नदी के पानी को पीने में इस्तेमाल करते थे। नदी में शहरी क्षेत्र के नाले के पानी गिरने से लोग इसका इस्तेमाल ना के बराबर कर रहे हैं।
लोगों का कहना है कि शहरी क्षेत्र से गुजरने वाली नदी को बेहतर ढंग से साफ-सफाई नहीं कराए जाने और और अतिक्रमण के लिए नगर पंचायत विभाग अधिकारी जिम्मेदार हैं। जिले के आला अधिकारियों ने गंभीरता नहीं दिखाई है।
हालांकि जिले के तत्कालीन उपायुक्त राजीव कुमार ने नगर पंचायत विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर जैत्री नदी की पूरी तरह सफाई करने नदी के दोनों किनारे पेड़ पौधे लगाने और रंगीन लाइट लगाने के साथ लोगों के बैठने के लिए सीमेंटेड बेंच बनाने व नदी के सुंदरीकरण का निर्णय लिया गया था ।लेकिन नगर पंचायत विभाग द्वारा पर्यावरण संरक्षण व शहर के सुंदरीकरण पर ध्यान नहीं दिया।
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