झारखंड के धनबाद में कोरोना वैक्सीन के 4 हजार वॉयल का कोविन पोर्टल पर हिसाब नहीं मिल रहा है। यानी कोवीशील्ड और कोवैक्सिन के 40 हजार डोज किसे लगे इसकी कोई जानकारी ही नहीं हैं। गायब वैक्सीन पर उस वक्त अफसरों के होश उड़ गए, जब राज्य सरकार ने वैक्सिनेटेड लोगों का डेटा मांगा। इसके बाद 40 हजार डोज की खपत दिखाने के लिए जाली एंट्री शुरू कराई गई और मरे हुए लोगों को लाभार्थी बना दिया।
दैनिक भास्कर की पड़ताल में पता चला कि केंद्र सरकार के कोविन पोर्टल पर जाली एंट्री न पकड़ी जा सके, इसके लिए बाकायदा वर्क प्लेस CHC सदर को वैक्सीनेशन सेंटर बनाया गया। कई डेटा ऑपरेटरों को फर्जी एंट्री का जिम्मा सौंपा गया। एंट्री के लिए कथित लाभार्थियों के अलग-अलग पहचान पत्र का इस्तेमाल किया जा रहा है और फर्जी मोबाइल नंबर डाले जा रहे हैं। OTP (वन टाइम पासवर्ड) का ऑप्शन वैकल्पिक (नॉट रिक्वायर्ड) रखा जा रहा है। रजिस्ट्रेशन के तुरंत बाद ही फर्जी लाभार्थियों का वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट कोविन ऐप पर जारी हो रहा है।
भास्कर की पड़ताल में सामने आ गईं गड़बड़ियां
दैनिक भास्कर की टीम ने 10 लोगों के पहचान पत्र लिए। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को बताया कि परिजन को बाहर जाने के लिए सर्टिफिकेट चाहिए। इस पर कर्मचारियों ने बिना पूछताछ के उस पहचान पत्र से एंट्री कर दी और सर्टिफिकेट दे दिया। हैरानी की बात यह रही कि जिनके पहचान पत्र से सर्टिफिकेट बने, उनकी पहले ही मौत हो चुकी है। 2 घंटे बाद मृतकों का वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट कोविन ऐप पर जारी दिखा दिया गया। कुछ को पहली डोज दिखाकर सेकंड डोज की डेट दी गई। वहीं कई को सेकंड डोज दिखाकर पहली डोज 4 महीने पहले लेने की एंट्री की गई। भास्कर के दो रिपोर्टरों के नाम पर भी सर्टिफिकेट जारी कर दिए गए, जो पहले से वैक्सीनेटेड हैं।
विभाग ने माना, हुई गड़बड़ी
धनबाद सिविल सर्जन डॉ. एसके कांत ने कहा कि धनबाद सदर में 40 से 50 हजार डोज की कम एंट्री मिली है। डेटा टैली कर रहे हैं। इसके बाद असली आंकड़ा सामने आएगा।
स्वास्थ्य मंत्री बोले- हाई लेवल कमेटी जांच करेगी
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि धनबाद DC से जांच कराई जाएगी। जरूरत पड़ी तो उच्चस्तरीय जांच कमेटी बनाएंगे। संलिप्त अफसरों-कर्मियों पर कार्रवाई तय है।
कोविन ऐप से डाउनलोड फर्जीवाड़े का सबूत देखिए
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