झारखंड के कई खदान से अवैध खनन का काम जारी है। गढ़वा में भी कोयले का काला कारोबार हो रहा है। गढ़वा जिले में एक भी कोयला खदान नहीं है, जहां वैद्य रूप से कोयला का उत्खनन होता है। वैद्य खदान ना होने के बावजूद भी लाखों रुपए के कोयले का हेर फेर हर रोज हो रहा है। ट्रक चालक स्थानीय लोगों के साथ मिलकर कर अवैध खनन को अंजाम दे रहे हैं। कोयले को उसके गुणवता के आधार पर 10 से 15 हजार रूपये प्रति टन के आधार पर बेच दिया जाता है।
15 से 20 लाख के कोयले का खेल
खबरों के अनुसार एनएच-75 में गढ़वा शहर से लेकर यूपी सीमा विंढमगंज तक हर दिन 15 से 20 लाख का अवैध खनन का खेल होता है। ना सिर्फ रात के अंधेरे में बल्कि दिन में भी बेधड़क काम हो रहा है। इस पर खनन विभाग और पुलिस दोनों मौन हैं। गढ़वा जिले में कोयले की खपत सबसे ज्यादा ईंट भट्ठों में होती है, इसके बाद दूसरे नंबर पर आते हैं वैसे होटल जहां कोयले से खाना तैयार होता है। एक्सपर्ट मानते हैं कि गढ़वा जिले में प्रतिदिन एक हजार टन कोयले की खपत है।
कहां होती है अवैध कोयले की खपत
गढ़वा में अवैध खनन के आंकड़े को समझने के लिए कुछ आंकड़े आपके सामने हैं। जिले में लगभग 100 वैद्य ईट भट्ठे हैं। जबकि 100 के अलावा लगभग 30 ऐसे ईट भट्ठे हैं जो अवैध रूप से चल रहे हैं। इनमें हो रहा है कोयले के अवैध कोयला का इस्तेमाल। गढ़वा में ईट भट्ठो से ईटों की मांग बढ़ी है, यही वजह है कि इन ईट भट्ठों में अवैध तरीके से काम हो रहा है। गढ़वा जिले में झाखंड के लातेहार व चतरा जिले के मगध, आमप्राली, तेतरियाखांड़, चमातू, सिकनी के अलावे मध्यप्रदेश के निगाही, गुरबी, जयंत, यूपी के बिना, खड़िया, कंकरी, कृष्णशीला, छतीसगढ़ के दिपिका, गेवरा, महान आदि खदानों से कोयला ट्रक के माध्यम से इन भट्ठों तक पहुंच रहा है।
ट्रक से पिकअप में भरकर होता है सप्लाई
इसके अलावा लाइन होटल में अवैध कोयले की मांग ज्यादा है। बड़े - बड़े ट्रक से कोयला उतार कर पिकअप में भरा जाता है, डिमांड के हिसाब से कोयला उन जगहों तक पहुंचाया जाता है। पिछले कुछ दिनों में धनबाद सहित कई शहरों में अवैध खनन की वजह से कई लोगों की जान चली गयी। इस दिशा में प्रशासन ने भी सतर्क होने का दावा किया है लेकिन अब भी राज्य के कई कोल शहरों में कोयले का अवैध खनन लगातार जारी है जो बड़े खतरे को आमंत्रित कर रहा है।
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