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छठ अब ग्लोबल:बैंकॉक में 200 साल पुराने विष्णु मंदिर में 40 साल से मन रहा छठ, यूएस-यूके, दुबई समेत कई देशों में महाव्रत

झारखंड/पटना5 महीने पहलेलेखक: आलोक कुमार
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बैंकाॅक स्थित 200 साल पुराना विष्णु मंदिर। - Dainik Bhaskar
बैंकाॅक स्थित 200 साल पुराना विष्णु मंदिर।

थाईलैंड, बैंकॉक में रहने वाले बिहारी और झारखंडी समाज के लोग करीब 40 साल से पूरी आस्था के साथ छठ मनाते हैं। बैंकाॅक के अति प्राचीन विष्णु मंदिर प्रांगण में पूरे रीति-रिवाज के साथ छठ पूजा होती है। वहां के प्रधान ही इसका आयोजन विगत 40 सालों से करा रहे हैं। विष्णु मंदिर करीब 200 साल पुराना है। दो साल बाद छठ को लेकर जोरदार तैयारी है। यहां प्रांगण में तालाब जैसी एक झील है, जिसमें व्रती छठ करते हैं। करीब 5000 बिहारी-झारखंडी यहां है। पर छठ कम ही लोग करते हैं। इस बार 50-60 लोग व्रत करेंगे, लेकिन इसमें तीन हजार से अधिक लोग सहभागी बनेंगे। सासाराम बिहार के बिजनेसमैन रंजीत सिंह, पटाया में रहते हैं। उन्होंने बताया कि पटाया में लोग घरों में ही छठ करते हैं। इस बार अभय सिंह व उनकी पत्नी राखी सिंह छठ कर रही हैं।

उन्हीं के घर लोग जुटेंगे। अभी बिहारी डायपोरा नामक एसोसिएशन से बिहार के साथ कुछ गोरखपुर के लोग जुड़े हुए हैं। इसी के बैनर तले छठ-दीपावली व अन्य त्योहार का आयोजन होता है। मुंगेर की मोनिका इंजीनियर के साथ योगा टीचर हैं और बैंकाॅक में रहते हुए धार्मिक-सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहती हैं। मोनिका के अनुसार शुरू में दो-चार परिवार छठ मनाते थे। अब यह संख्या बढ़कर 50-55 हो गई है। लेकिन, सबसे बड़ी बात है कि जानकारी होने पर बिहारी-झारखंडी परिवारों के साथ थाई लोग भी आगे बढ़कर भाग लेते हैं। कई व्रती व उनके परिवार विष्णु मंदिर परिसर में ही रात बिताते हैं और कुछ लोग सामान रखना चाहते हैं।

उनके रहने व सामान की सुरक्षा की व्यवस्था सरकार की ओर से की जाती है। बिहारी समुदाय और भोजपुरी समाज के लोग मिलजुलकर हर साल छठ पूजा का आयोजन करते हैं। बुद्धिस्ट कंट्री होने के बावजूद हिन्दू धर्म के लोग यहां फील करते हैं कि वे दूसरे देश में नहीं अपने ही देश में है। बैंकाक में एक छोटा बिहार मनाता तो मैं सारे त्योहार पर छठ की महिमा अपरंपार। मां का ठेकुआ और दुलार पाकर हुआ जीवन साकार। सर पे उठा मैं छठ का डाला लेता घर की जिम्मेदारी हूं, हां-हां मैं एक बिहारी हूं उस मिट्‌टी का आभारी हूं।

दुबई - 20 साल से सामूहिक छठ, ममजार बीच पर दिखा पटना के गंगा घाट सा नजारा

दुबई के ममजार सी बीच से शुरू हुई छठ पूजा अब अबू धाबी और शारजाह में भी सामूहिक रूप से होने लगी है। बकायदा घाट सजा कर पूजा होती है। छठ पूजा से पहले भोजपुरिया समाज, भोजपुरिया परिवार, झारखंडी समाज समेत अन्य संगठन दुबई के म्युनिसपैलिटी से परमिशन लेते हैं। मुस्लिम देश होने के बावजूद दुबई के ममजार सी बीच पर हर साल छठ महापर्व मनाया जाता है। ममजार बीच पर पटना के गंगा घाट सा नजारा होता है। दुबई में बिहार व यूपी के करीब दो लाख से अधिक लोग रहते हैं। करीब 15-20 साल से सामूहिक छठ पूजा का आयोजन यहां हो रहा है। ममजार बीच के अलावा अल कुदरा लेक के पास भी लोग छठ मनाते हैं।

50 सालों से अमेरिका में छठ, पांच हजार लोग जुटे कैलिफोर्निया के पार्कों में

अमेरिका में 50 सालों से छठ पर्व मनाया जा रहा है। बिहार झारखंड एसोसिएशन ऑफ नार्थ अमेरिका यानी बजाना की ओर से भव्य तैयारी है। बजाना के बिहार फाउंडेशन एसोसिएशन ऑफ यूएसए इस्ट कोस्ट के चेयरमैन आलोक कुमार बताते हैं कि छठ के दस दिन पहले एसोसिएशन की ओर से पार्क रिजर्व कर लिया गया है। एसोसिएशन आठ सालों से विधिवत रूप से छठ का पर्व मनाने की व्यवस्था कर रहा है। छठ व्रतियों के लिए फल से लेकर छठ में इस्तेमाल होने वाले हर चीज उपलब्ध करायी जाती है। कैलिफोर्निया में पार्कों में पांच हजार से अधिक लोग छठ व्रत मनाने आते हैं।

यूके में पहली बार हुआ सामूहिक छठ, नॉटिंघम में शामिल हुए 600 परिवार

यूनाइटेड किंगडम में पहली बार लंदन से 40 मी दूर नॉटिंघम के रिसॉर्ट में सामूहिक रूप से छठ का आयोजन हुआ। इसके लिए पांच साल पहले बनी संस्था बिहारी कनेक्ट यूके ने एक महीने पहले से तैयारी शुरू की थी। रिसॉर्ट में ही खरना, अर्घ्य देने और प्रसाद तैयार किया गया। बिहारी कनेक्ट यूके के महासचिव और छपरा के मूल निवासी ओमप्रकाश का कहना है कि यहां एक साथ 600 से 700 लोगों के जुटे हैं। पहली बार इतने बड़े स्तर पर छठ का आयोजन किया गया है। पहले लोग अपने घर छिटपुट ही छठ करते थे। टेम्स या किसी अन्य नदी के किनारे छठ करने की इजाजत सरकार नहीं देती है। रिसॉर्ट में 40 वॉलेंटिसर्य हैं, जो यूके के अलग-अलग शहर से जुड़े हैं।

छठ के बाद पूरे यूके में बिहारियों तक प्रसाद पहुंचाने की जिम्मेदारी भी इनकी ही होगी। पूजा के लिए बिहार से ही सूप, दउरा, पीतल की हांडी, लोटा, कठौत आदि का आयात किया गया है। पूजा सामग्री भी मंगा ली गई है। लंदन के पास स्थित शहर बाथ के पूर्व डिप्टी मेयर और आरा के जगदीशपुर के मूल निवासी डॉ. युक्तेश्वर प्रसाद का दावा है कि 1960 के बाद बिहारियों-झारखंडियों के आने की संख्या यूके में बढ़ी थी।