धनबाद में डॉ आरसी हाजरा क्लिनिक में डॉक्टर दंपति सहित छह लोगों की मौत आग लगने से हो गयी। इस हादसे के तीन बाद ही धनबाद में आशीर्वाद बिल्डिंग में आग लगी 14 लोगों की मौत जलकर हो गयी। इन हादसों ने एक बड़ा सवाल खड़ा किया है। क्या धनबाद इस तरह के हादसो से निपटने के लिए तैयार नहीं है ? क्या इन दोनों हादसों को रोका जा सकता था ? इस सवाल के जवाब इस हादसे का शिकार हुए परिजन दे रहे हैं।
किसकी लापरवाही
आशीर्वाद बिल्डिंग हादसे में अपनी पत्नी और बच्चा खो चुके पिंटू सिंह कहते हैं जब मुझे खबर मिली तो मैं बोकारो से आग गया लेकिन उस वक्त तक अग्निशमन विभाग ने मेरे बच्चे को नहीं निकाला था। अगर इनके पास बेहतर सुविधाएं होती तो आज मेरा परिवार मेरे साथ होता।
धनबाद की आबादी 26 लाख से ज्यादा, शहर में कई बड़े मॉल कितने सुरक्षित
2011की जनगणना के मुताबिक धनबाद जिले की आबादी लगभग 26 लाख है। शहर में कई लंबी इमारते, मॉल और बड़े - बड़े अस्पताल हैं। ऐसे में सवाल है कि उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी किसके हाथ में है। 18 वर्ष पुराने दमकल विभाग के पास आधुनिक मशीनों की कमी है। गिनती के फायर फाइटर है जिनसे पूरे जिले की सुरक्षा मुश्किल है। नयी ट्रेनिंग, आधुनिक मशीन और बदलती तकनीक में विभाग मूलभूत सुविधाओं के अभाव में है।
आग पर कैसे काबू पायेगा विभाग ?
विभाग के सूत्रों ने बताया कि धनबाद अग्निशमन विभाग में नियम के अनुसार पद देखें, तो एक गाड़ी पर चार फायरमैन, एक हवलदार या ड्राइवर की टीम हमेशा होनी चाहिए। इस आधार पर सात गाड़ियों में 35 सिपाही और हवलदार की टीम लेकिन वाहनों की संख्या और पदों के आधार पर आकलन करें तो यहां 23 पद खाली हैं। सिर्फ दो दमकल है जिनकी क्षमता सात हजार लीटर की है।
धनबाद में कई बड़ी इमारतों पर बढ़ता खतरा
धनबाद में आशीर्वाद बिल्डिंग दस मंजिला है। आग भले ही दूसरे तीसरे तल्ले से होते हुए आगे बढ़ी लेकिन अगर आप ऊपर के तल्ले पर फैलती तो खतरा और बढ़ सकता था। दमकल में मात्र 35 फ़ीट की सीढ़ी है. ऐसे में पानी के प्रेशर से अधिकतम तीन से चार तल्ला तक के अपार्टमैंट तक ही आग पर काबू पाया जा सकता है।
धनबाद जिले में 30 से 40 ऐसी बहुमंजिला इमारत हैं जहां आग लगी तो इस पर काबू पाना विभाग के लिए मुश्किल होगा। इन सब सुविधाओं के साथ- साथ इतनी बड़ी इमारतों को अग्निशमन विभाग तभी एनओसी देता है जब इमारत में इस तरह के हादसे से निपटने की पूरी क्षमता हो। इस हादसे में फायर फाइटर ने शानदार काम किया। अपनी जान पर खेलकर कई लोगों की जान बचाई। अगर उनके पास और बेहतर ट्रेनिंग,बेहतर उपकरण औऱ दूसरी सुविधाएं होती तो मौत का आंकड़ा इतना नहीं होता।
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