झारखंड की युवा कवि और स्वतंत्र पत्रकार जंसिता केरकेट्टा ने फोर्ब्स इंडिया की सेल्फ मेड वुमन की सूची में अपनी जगह बनाई है। साल 2022 की लिस्ट में जंसिता केरकेट्टा को जगह मिली है। भारत में अलग- अलग क्षेत्र की कुल 22 महिलाओं को इसमें शामिल किया गया है। फोर्ब्स इंडिया ने दिसंबर के अंक में पूरे भारत से महिलाओं को शामिल किया है। फोर्ब्स इंडिया की सूची में शामिल जंसिता केरकेट्टा आदिवासी पृष्ठभूमि से आने वाली हिंदी की पहली युवा कवि एवं लेखिका हैं।
पहले भी कई सम्मान जंसिता के हिस्से में
यह पहली बार नहीं है जब इस तरह के सम्मान को जंसिता ने अपने नाम किया है। इंडिया टुडे की नई नस्ल नए नुमाइंदे- 2022 की सूची में भी उन्होंने जगह बनाई, मैगजीन आउटलुक ने भी उन्हें जगह दी। जंसिता केरकेट्टा की कविता मैगजीन में छप चुकी है। सेमिनार का संपादन ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की शोधार्धी मालविका गुप्ता और नृविज्ञानशास्त्री फेलिक्स पडेल ने किया। साहित्य के सबसे बड़े महाकुंभ 'साहित्य आजतक में भी वह शामिल रहीं। इस तरह के कई कार्यक्रम में वह राष्ट्रीय - अंतरराष्ट्रीय मंच की शोभा बढ़ाती रहीं हैं।
मुखर आवाज जंसिता
आदिवासी हितों के लिए जंसिता मुखर आवाज हैं। बहुत कम समय में उन्होंने अपनी पहचान स्थापित की। राष्ट्रीय और अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी लेखनी की अलग पहचान है। जसिंता केरकेट्टा का जन्म 3 अगस्त 1983 में झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में सारंडा जंगल से सटे मनोहरपुर प्रखंड के खुदपोस गांव में जंसिता का जन्म हुआ. 2016 में पहला काव्य-संग्रह ‘अंगोर’ हिंदी-अंग्रेजी में आदिवाणी कोलकाता से प्रकाशित.
कई जगहों पर प्रकाशित हुए हैं कविताएं
अंगोर का जर्मन संस्करण हिंदी-जर्मन में प्रकाशित. कविता-संग्रहों में भी इनकी कविताएं शामिल, इनमें शतदल, रेतपथ, समंदर में सूरज, कलम को तीर बनने दो माटी आदि स्मरणीय हैं. 2014 में आदिवासियों के स्थानीय संघर्ष पर उनकी एक रिपोर्ट पर बतौर आदिवासी महिला पत्रकार उन्हें इंडिजिनस वॉयस ऑफ एशिया का रिक्गनिशन अवॉर्ड, एशिया इंडिजिनस पीपुल्स पैक्ट, थाईलैंड की ओर से दिया गया. संप्रति गांव में सामाजिक कार्य के साथ कविता सृजन कर रही हैं।
Copyright © 2023-24 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.