गढ़वा जिले के बाना गांव में पुरानी परंपराओं का निर्वहन करते हुए अच्छी बारिश के लिए ग्रामीणों ने मेंढक और मेढकी की सोमवार को बारात निकाली। यह बाना बाजार से शुरू होकर देवी मंडप सती स्थान के पास पहुंची, जहां परंपरा के अनुसार दोनों की शादी ढोल नगाड़े और वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ कराई गई। बड़ी संख्या में उपस्थित महिलाओं ने द्वार पूजा से लेकर विवाह तक के गीत गाए।
हजारों महिला और पुरुषों की उपस्थिति में इस पुरानी परंपरा का निर्वहन किया गया। पंचायत के मुखिया विजय सिंह ने बताया- 'इसकी शुरुआत बाना गांव के जमींदार बाबू महेश्वर नाथ सिंह ने की थी। कहा जाता है कि 1966 में इलाके में भयंकर अकाल पड़ा था।'
सिंह ने बताया- '1967 में क्षेत्र में अच्छी बारिश और फसल के लिए बाबू महेश्वर नाथ सिंह ने विधिवत मेंढक और मेढ़की का विवाह सती स्थान के पास कराया था। इसके बाद से यह एक परंपरा बन गई और तब से लेकर आज तक ऐसा किया जा रहा है। इससे बाना गांव और उसके आसपास के गांव में अकाल का प्रभाव नहीं रहता है। वहीं, अच्छी बारिश के साथ फसल की पैदावार भी अच्छी होती है'।
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