झारखंड:कभी बाल मजदूर रहे युवक को ब्रिटिश सरकार ने 'डायना अवार्ड' से किया सम्मानित, शिक्षा के क्षेत्र में काम करने के लिए मिला सम्मान

गिरिडीह/रांची3 वर्ष पहले
  • कॉपी लिंक
बच्चों को पढ़ाते लाल घेरे में नीरज मुर्मू। गिरिडीह के दुलियाकरम निवासी नीरज मुर्मू नीरज 10 साल की उम्र में परिवार का पेट पालने के लिए अभ्रक खदानों में बाल मजदूरी करता था। इसक्रम में बचपन बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने उसे बाल मजदूरी से मुक्‍त कराया। इसके बाद नीरज सत्यार्थी आंदोलन के साथ मिलकर बाल मजदूरी के खिलाफ काम करने लगा। - Dainik Bhaskar
बच्चों को पढ़ाते लाल घेरे में नीरज मुर्मू। गिरिडीह के दुलियाकरम निवासी नीरज मुर्मू नीरज 10 साल की उम्र में परिवार का पेट पालने के लिए अभ्रक खदानों में बाल मजदूरी करता था। इसक्रम में बचपन बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने उसे बाल मजदूरी से मुक्‍त कराया। इसके बाद नीरज सत्यार्थी आंदोलन के साथ मिलकर बाल मजदूरी के खिलाफ काम करने लगा।
  • गिरिडीह के दुलियाकरम गांव के रहनेवाले हैं नीरज मुर्मू, ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान गांव में गरीब बच्चों के लिए खोला स्कूल
  • मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा- नीरज की उपलब्धि झारखंड के लिए गौरव का क्षण, सामाजिक बदलाव लाने वाले शिक्षक की यात्रा प्रेरणादायक

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने गिरिडीह निवासी नीरज मुर्मू को गरीब बच्‍चों को शिक्षित करने के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा डायना अवार्ड से सम्‍मानित किए जाने पर शुभकामनाएं और बधाई दी है। मुख्यमंत्री ने कहा नीरज की उपलब्धि पूरे झारखंड के लिए गौरव का क्षण है। बच्चों के साथ सामाजिक बदलाव लाने वाले इस शिक्षक की यात्रा प्रेरणादायक है। मुख्यमंत्री ने कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन के कैलाश सत्यार्थी को भी अपना मार्गदर्शन नीरज को देने के लिए धन्यवाद दिया है।

ब्रिटेन में वेल्स की राजकुमारी डायना की स्मृति में हर साल यह अवार्ड नाै से 25 साल के उन युवाओं काे दिया जाता है, जिन्हाेंने नेतृत्व क्षमता का परिचय देते हुए सामाजिक बदलाव में असाधारण याेगदान दिया हाे। 

इसलिए मिला सम्मान
गिरिडीह के दुलियाकरम निवासी नीरज मुर्मू नीरज 10 साल की उम्र में परिवार का पेट पालने के लिए अभ्रक खदानों में बाल मजदूरी करता था। इस क्रम में बचपन बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने उसे बाल मजदूरी से मुक्‍त कराया। इसके बाद नीरज सत्यार्थी आंदोलन के साथ मिलकर बाल मजदूरी के खिलाफ काम करने लगा। वह लोगों को समझा-बुझाकर उनके बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कर स्कूलों में दाखिला कराने लगा। ग्रेजुएशन की पढ़ाई जारी रखते हुए उसने गरीब बच्चों के लिए अपने गांव में एक स्‍कूल की स्‍थापना की, जिसके माध्यम से वह बच्‍चों को समुदाय के साथ मिलकर शिक्षित करने में जुटा है। 

कैलाश सत्यार्थी ने भी किया ट्वीट
कैलाश सत्यार्थी ने भी ट्वीट कर लिखा कि भारत और मेरे संगठन के लिए गौरव का क्षण। नीरज मुर्मू को शिक्षा के प्रसार में उनके कार्य के लिए प्रतिष्ठित डायना अवार्ड 2020 से सम्मानित किया गया है। उन्होंने लिखा कि 2011 तक नीरज खतरनाक माइका के खान में एक बाल मजदूर था।