समाज में कुछ हैवान ऐसे हैं, जो मर्यादाओं को तार-तार कर रहे हैं। डायन-बिसाही का ऐसा ही मामला शुक्रवार को गढ़वा में आया। नारायणपुर गांव में ग्रामीणों की भीड़ ने पंचायत बुलाकर तीन महिलाओं पर डायन और एक युवक पर ओझागुनी का आरोप लगाते हुए बुरी तरह पिटाई की। भीड़ में 70 से अधिक लोग शामिल थे और सभी नशे में थे। पीड़िताओं में एक 60 साल की, दूसरी 55 साल की और तीसरी 50 साल की हैं। जबकि पीड़ित युवक 32 साल का है।
जानकारी मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और ग्रामीणों के चंगुल से सबको बचाकर थाने ले गई। भुक्तभोगियों के अनुसार, नारायणपुर गांव में बलि रजवार की दो बेटियों की तबीयत खराब थी। बलि रजवार ने गांव की ही तीन महिलाओं पर डायन का आरोप लगाया। लोगों ने गांव में पंचायत बुलाई। इसके बाद भीड़ ने महिलाओं को अर्द्धनग्न होकर नाचने को कहा। इनकार करने पर महिलाओं की पिटाई शुरू कर दी। एक महिला की आंख फोड़ने का भी प्रयास किया गया।
अत्यधिक पिटाई से 50 वर्षीय महिला बेहोश, प्रशासनिक टीम आज घटनास्थल पर जाएगी
उपायुक्त राजेश कुमार पाठक ने कहा कि इस बर्बरता की जानकारी मिली है। यह मामला काफी गंभीर है। पुलिस-प्रशासन दोषियाें पर सख्त कार्रवाई करेगा। 10 अक्टूबर को घटना की जांच के लिए महिला पदाधिकारी के नेतृत्व में टीम भेजी जाएगी। टीम पूरे मामले की जांच के बाद रिपोर्ट सौंपेगी, उसके अनुसार कार्रवाई होगी।
पीड़िताओं को कानूनी मदद मिलनी चाहिए
मानवाधिकार संगठन के जिला महासचिव सुरेश मानस ने कहा इस मामले में पुलिस को कठोर कार्रवाई करनी चाहिए और पीड़िता को कानूनी सहायता मिले। कभी-कभी कमजोर लोगों पर डायन-बिसाही का आरोप लगाकर उनका सामाजिक बहिष्कार किया जाता है और उनकी संपत्ति को हड़पने की साजिश की जाती है।
औरत मां, बहन, बेटी है...डायन कैसे हो सकती है
वहशी भूल गए कि वह जिन्हें डायन बता नग्न करने की कोशिश कर रहे थे, वैसी ही एक औरत ने छाती से चिपकाकर उन्हें बड़ा किया है। वैसी ही एक किशोरी ने कभी उनकी कलाई में राखी बांधी है। एक नन्हें हाथ ने कभी उनकी अंगुली पकड़कर चलना सीखा है। औरत तो मां, बहन अौर बेटी होती है, डायन कैसे हो सकती है? गंदगी सोच में है, जो अज्ञानता और अंधविश्वास की कुत्सित कल्पनाओं से उपजती है। डायन बिसाही भी सती प्रथा जैसी ही खतरनाक है और वक्त आ गया है कि इस पर कठोरतम संज्ञान लिया जाए। सिर्फ करने वालों के खिलाफ नहीं, बल्कि मूकदर्शक बन उनका मनोबल बढ़ाने वालों के खिलाफ भी। एनसीआरबी के आंकड़े के अनुसार, पिछले 5 साल में अंधविश्वास के चलते देश में 656 हत्याएं हुई हैं, जिनमें 217 सिर्फ झारखंड में हुई हैं। असल में स्थिति इससे कहीं ज्यादा भयावह है। इसे रोकना ही होगा...।
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