हुसैनाबाद अनुमंडल मुख्यालय से जपला-नबीनगर होते बिहार से जोड़ने वाली सड़क आज के दिनों में पूर्ण रूप से जर्जर हो गई है। सड़क का निर्माण 21 करोड़ की लागत से किया गया था जो उत्तर कोयल मुख्य नहर होते झारखंड से बिहार को जोड़ती है। यह जपला व नबीनगर की लाइफलाइन सड़क है।
इस सड़क से एक दर्जन से अधिक गांव के लोगों को जपला आना विवशता है। इसमें चार पंचायत के अलावा लगभग साठ हजार की आबादी की जनसंख्या वाले गांव लोटनियां, दरुआ बेनी, बेल बिगहा, कजरात, सोनबरसा, बसारी आदि कई मुख्य गांवों का आना जाना प्रतिदिन लगा रहता है। किंतु जर्जर सड़क की मरम्मत के लिए भी अब तक न तो किसी विधायक ने सुधि ली न ही सांसद ने।
जब भी चुनाव आता है तो जनप्रतिनिधि क्षेत्र वासियों के वोट झटकने के लिए हाथ जोड़कर खड़े हो जाते हैं। विकास का ढिंढोरा पीटने वाले जनप्रतिनिधि अब केवल अपने व अपने चहेते को विकसित बनाने में जुटे हैं। ग्रामीण सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उक्त सड़क का निर्माण पथ निर्माण विभाग के माध्यम से डंडार कंस्ट्रक्शन द्वारा वर्ष 2013-14 में इसकी प्राक्कलित राशि 21 करोड़ लगभग की थी, जिसे जपला स्थित सिद्धनाथ द्वार से एकौनी, दंगवार सीमा क्षेत्र के बिहार के नबीनगर क्षेत्र तक निर्माण कराया गया था।
सड़क निर्माण के बाद प्राकलन में दोनों तरफ से नाली का निर्माण होना था। किंतु नाली का निर्माण नही कराकर संवेदक ने पूरी राशि गटक ली। 2018 में पूर्व विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने विधानसभा सत्र के दौरान उक्त सड़क पर सवाल उठाया, जिसमें सरकार के आदेश से गुणवत्ता विभाग जांच करने आई परंतु अभी तक जांच रिपोर्ट सरकार को नही समर्पित किया गया। जिससे स्थिति यथावत बनी हुई है।
इधर इस मामले में प्रभावित गांव के ग्रामीण संवेदक से लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधि के खिलाफ प्रतिक्रिया व्यक्त की है। समाजसेवी विनोद कुमार सिंह उर्फ लाल बाबू ने कहा कि हम ग्रामीण सड़क की बदहाली से मानसिक व शारीरिक रूप से पीड़ित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी मरीज को इमरजेंसी सेवा में हुसैनाबाद अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचाना है तो कोई भी वाहन मलवरिया सहित गांव में आने जाने को ले तैयार नहीं होता।
सबसे अधिक परेशानी मरीज के साथ साथ बच्चों को विद्यालय जाने में हो रही है। वहीं कठौन्धा गांव के संजय पाठक का कहना है कि इस क्षेत्र के ग्रामीण जनप्रतिनिधि के कार्यप्रणाली व संवेदक द्वारा किए गए कार्य से हम लोग 21वी सदी में चले जा रहे हैं।
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