पलामू जिले के विभिन्न प्रखंडों में अवैध पत्थर का खनन धड़ल्ले से किया जा रहा है। सुरक्षित वन क्षेत्रों में भी यह अवैध कारोबार चरम पर है। मुख्य रूप से यह खनन छतरपुर-करमा चराई रोड में अकवनिया, बसडीहा, बरडीहा, मुरूमदाग, रुदवा पंचायत अंतर्गत कुंडौली इत्यादि के वन क्षेत्रों में खुलेआम जारी है, जिसपर आते जाते किसी की भी नजर पड़ सकती है।
बावजूद इसके क्षेत्र में तैनात वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी इन खनन कारोबारियों के सामने बौने साबित हो रहे हैं। यह सब खुलेआम होने के बाद भी वनकर्मियों ने आंखें मूंद रखी हैं, ऐसे में पत्थर कारोबारी बेखौफ होकर खनन व परिवहन कर रहे हैं।
वन क्षेत्रों व रैयती जमीन पर पत्थर के अवैध खनन से रैयतों, कारोबारियों , संबंधित अधिकारियों को तो मुनाफा हो रहा है लेकिन इनकी वजह से सरकारी राजस्व को हर साल लाखों का भारी चूना लग रहा है।
जिले के पत्थर माफिया तब से और बेखौफ हो गए हैं,जब से पलामू उपायुक्त शशिरंजन रंजन के रिश्तेदार को खनन क्षेत्र लीज पर आवंटित कर दिया गया है। वन क्षेत्रों में अंधाधुंध हो रहे खनन के मुकाबले कार्रवाई की संख्या महज खानापूर्ति कही जा सकती है।
एक ही चालान पर कई-कई ट्रिप पत्थर की ढुलाई, लाखों के राजस्व का नुकसान
पत्थर माफियाओं द्वारा जिले के पांकी, सतबरवा, मनातू, चैनपुर, छतरपुर, हरिहरगंज, हुसैनाबाद, मोहम्मदगंज, पांडू प्रखंड में बड़े पैमाने पर जंगलों के पहाड़ों से पत्थर तोड़कर वैध/अवैध क्रशर प्लांट में ट्रैक्टर से पहुंचाया जाता है।
रास्ते में जांच होने पर पत्थर माफिया के द्वारा खनन विभाग के द्वारा आवंटित माइंस एरिया का दिखा दिया जाता है। इतना ही नहीं, पत्थर माइंस लीज धारक और क्रशर प्लांट मालिक के मिलीभगत से माइंस एरिया से क्रशर प्लांट तक क्षमता से अधिक लोडिंग कर पत्थर की ढुलाई की जाती है।
क्रशर माइंस मालिक एक ही चालान पर कई-कई ट्रिप पत्थर की ढुलाई करते हैं, जिससे सरकार के राजस्व की बड़े पैमाने पर क्षति होती है। जिला प्रशासन का भय नहीं होने के कारण क्रशर प्लांट के मालिक ओवरलोडिंग कर बेखौफ ढुलाई करते हैं।
जनहित याचिका में काेर्ट काे 100 से अधिक अवैध क्रशर की सूची साैंपी गई है
रात में ब्लास्टिंग कर पत्थर को तोड़ा जाता है और उसकी ढुलाई की जाती है। पत्थर माफिया के आपराधिक प्रवृत्ति होने के कारण ग्रामीण भी उनसे उलझने से बचते हैं। सूचना के बाद भी पुलिस स्तर से कोई कार्रवाई नहीं होती।
पलामू में जारी अवैध खनन के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में पूर्व में जनहित याचिका दायर की गयी थी। हाईकोर्ट में दायर इस जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने सौ से अधिक अवैध क्रशर की सूची उपलब्ध कराते हुए इन्हें बंद कराने की मांग की है।
वन्य जीवाें काे भी हाे रहा नुकसान
वन सेंचुरी क्षेत्र के विभिन्न जगहों से निकाले जा रहे पत्थर को खनन माफियाओं द्वारा ट्रैक्टर ट्राली से लादकर सस्ते दामों में क्रशरों को उपलब्ध कराया जाता है, जिससे क्रैशर मालिकों को भी भारी मुनाफा होता है। पूरा खेल उनके संरक्षण में चलाया जा रहा है। वन सेंचुरी क्षेत्र से पत्थर निकाले जाने से वन्य जीवों को नुकसान हो रहा है।
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