इडी जांच के बाद आईएएस पूजा सिंघल के गिरफ्तार होने के बाद व पलामू जिले के उपायुक्त शशिरंजन द्वारा अपने दो रिश्तेदार के नाम पत्थर लीज माइंस आवंटित किए जाने की बात भाजपा द्वारा उजागर किए जाने के बाद राजस्व चोरी के लगातार मामले सामने आ रहे हैं। अवैध खनन के लिए चर्चित हुए जिले में नित्य नए मामले सामने आ रहे हैं।
पिछले हुसैनाबाद एसडीओ कमलेश्वर नारायण ने ओर लोडिंग हाइवा के चलने से प्रतिदिन 18 लाख 40 हजार रुपए राजस्व की चोरी की जा रही है। उन्होंने उपायुक्त की अध्यक्षता में संपन्न टास्क फोर्स की संपन्न बैठक के बाद कहा था कि एक हाईवा के लिए 600 सीएफटी पत्थर का चालान कटता है,
लेकिन 800 से 1000 सीएफटी माल ढोया जा रहा है। पलामू के कई इलाके में स्टोन माइंस और क्रशर का हब है। हरिहरगंज, सुल्तानी घाटी के पास चपरवार, सुल्तानी और बलरा के इलाके में एनएच 98 के किनारे राज्य की तीसरी सबसे बड़ी क्रशर मंडी है।
100 टन का चालान 720 रु. है, न्यूनतम प्रति हाईवा 200 टन की चोरी
पलामू में प्रतिदिन लगभग एक हजार हाइवा का परिचालन पत्थर और छरी ढोने में किया जाता है। 100 सीएफटी के चालान के लिए 730 रुपया का चालान लगता है, जिसका जीएसटी के साथ 920 रुपया सरकार को देय होता है।
इस आधार पर प्रति हाईवा 200 सीएफटी के राजस्व की न्यूनतम चोरी हो रही है, अर्थात हर दिन एक हजार हाइवा के संचालन से 1.84 लाख रुपए के सरकारी राजस्व की चोरी हो रही है। शायद ही किसी जिले में इतना राजस्व की चोरी होती होगी जितने राजस्व की चोरी पलामू जिले के विभिन्न प्रखंडों में हर दिन हो रही है ऐसा वर्षों से हो रहा है।
एक ही चालान पर कई-कई ट्रिप ढुलाई हाेती है
खनन विभाग व वन विभाग की निष्क्रियता से पलामू जिला में पत्थरों का अवैध उत्खनन जोरों पर है। इस पर रोक लगाने के लिए जिला स्तर बनी टास्क फोर्स साल में एक-दो कार्रवाई कर खानापूर्ति करने का कार्य करती है। पत्थर माफियाओं द्वारा जिले के पांकी, मनातू, चैनपुर, छतरपुर, हरिहरगंज, हुसैनाबाद, मोहम्मदगंज, पांडू प्रखंड में बड़े पैमाने पर जंगलों के पहाड़ों से पत्थर तोड़कर वैध/अवैध क्रशर प्लांट में ट्रैक्टर से पहुंचाया जाता है।
रास्ते में जांच होने पर पत्थर माफिया द्वारा खनन विभाग द्वारा आवंटित माइंस एरिया का कागज दिखा दिया जाता है। इतना ही नहीं, पत्थर माइंस लीज धारक और क्रशर प्लांट मालिक के मिलीभगत से माइंस एरिया से क्रशर प्लांट तक क्षमता से अधिक लोडिंग कर पत्थर की ढुलाई की जाती है।
क्रशर माइंस मालिक एक ही चालान पर कई-कई ट्रिप पत्थर की ढुलाई करते हैं, जिससे सरकार के राजस्व की बड़े पैमाने पर क्षति होती है। जिला प्रशासन का भय नहीं होने के कारण क्रशर प्लांट के मालिक ओवरलोडिंग कर बेखौफ ढुलाई करते हैं।
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