डॉ. अनिल ने कहा:टीबी चैंपियन करेंगे मरीजों की काउंसिलिंग टीबी मुक्त देश में देंगे सहयोग

मेदिनीनगर2 महीने पहले
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कार्यक्रम का उद्धाटन करते जिला यक्ष्मा पदाधिकारी व अन्य।   - Dainik Bhaskar
कार्यक्रम का उद्धाटन करते जिला यक्ष्मा पदाधिकारी व अन्य।  

टीबी यानी क्षय रोग खतरनाक है। दवा की डोज बीच में छोड़ने से बीमारी बढ़ जाती है। टीबी को जो हरा चुके हैं वह चैंपियन हैं। यही चैंपियन अब क्षय रोगियों और उनके परिवार को दवा के प्रति जागरूक करेंगे।

टीबी से उन्मूलन में चैंपियन शामिल हुए तो मरीजों पर सकारात्मक असर होगा। ये बातें जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. अनिल कुमार श्रीवास्तव ने गुरुवार को यक्ष्मा विभाग की ओर से मल्टीपर्पस हॉल में जिला स्तर पर तीन दिवसीय क्षमता निर्माण आवासीय प्रशिक्षण के उद्घाटन के मौके पर कही। उन्होंने कहा कि विभाग ने जिले के 41 टीबी चैंपियन को चिह्नित किया है, जो अपने उपचार के दौरान सजग रहे हैं।

नियमित दवा ली है और नियमित जांच कराई है। अब यह टीबी चैंपियन अन्य सभी क्षय रोगियों को टीबी उपचार, नियमित दवा व नियमित जांच के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे। बताएंगे कि टीबी रोग से घबराएं नहीं, उपचार पूरी तरह संभव है। चैंपियन यह भी बताएंगे कि कैसे नियमित दवा के सेवन, नियमित जांच से उन्होंने टीबी को मात दी है। इसलिए सही से चिकित्सक की बातों का पालन करने और नियमित दवा खाने से टीबी को मात देकर स्वस्थ हो सकते हैं। उन सभी को तीन दिनों तक प्रशिक्षण देकर टीबी चैंपियन बनाया जाएगा। जो क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम को चैंपियन अपनी सेवाएं देंगे। उपचार ले रहे क्षय रोगियों को जांच, स्क्रीनिंग, उपचार के बारे में जानकारी देंगे।

जिला पीपीएम समन्वयक विजय सिंह ने बताया कि टीबी चैंपियन क्षय रोगी के परिवार वालों की भी काउंसलिंग कर जानकारी देंगे कि किसी भी तरह के मानसिक दबाव में आकर उपचार को न छोड़ें, उपचार कराते रहें। पूर्ण उपचार लेकर टीबी को मात दें। कार्यक्रम में राज्य प्रशिक्षक प्राणरंजन मिश्रा, रसरंजन ने प्रशिक्षण दिया। इस कार्य में उनका साथ वरीय टीबी पर्यवेक्षक नंदू चौधरी ने दिया। मौके पर यक्ष्मा विभाग के दिनेश कुमार, विपिन सहाय, संजय कुमार ठाकुर समेत 41 प्रशिक्षार्थी मौजूद थे।

तीन जिलों में टीबी चैंपियन कार्यक्रम सफल, अब सभी जिले में होगा लागू

बोकारो जिला के गोमिया की टीबी चैम्पियन आशा कुमारी ने बताया कि कुछ समय पहले उन्हें टीबी बीमारी थी। उन्होंने छह महीने तक पूरा इलाज किया और अब स्वस्थ हैं। टीबी चैम्पियन के रूप में झारखंड के जिले-जिले में जाकर प्रशिक्षण देने में लगी है।

जिससे टीबी को मात देने वाले लोग उनसे प्रेरित होकर टीबी चैंपियन बनकर टीबी के मरीजों की काउंसलिंग कर सके। बताते चले कि झारखंड के रांची, गुमला और बोकारो जिला में प्रयोग के तौर पर टीबी चैंपियन कार्यक्रम लागू किया गया था, जिसको काफी सफलता मिली है। उसके बाद सभी जिलों में लागू करने का विभाग ने निर्णय लिया है।

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