हजारीबाग व रांची शहर की मूल बनावट एक जैसी है। अगर आप इन्द्रपुरी सिनेमा चौक पर मेन रोड की ओर देखे तो आपको रांची शहर का फिराया लाल चौक का नजारा मिलेगा। वही तिराहा और मेन रोड का एहसास मिलेगा। लेकिन हजारीबाग के मशहूर चौक इंद्रपुरी की तरफ़ नगर निगम सदा सौतेला व्यवहार किया।
बहुत दिनों के बाद लिस्ट में नाम आया तो है लेकिन अभी तक इस चौक में सुंदरीकरण का काम नहीं शुरू किया गया है। लोगों को यह डर है कि फिर इस बार इंद्रपुरी चौक विकास की दौड़ में छूट ना जाए। बता दें कि शहर में तीन करोड़ रुपये की लागत से चौक चौराहों के सौंदर्यीकरण पर खर्च किए जा रहे है। लेकिन इस चौक के आसपास लोगों को भरोसा नगर निगम से अब उठ चुका है।
नगर निगम की अदूरदर्शिता के कारण उपेक्षित है ये चौराहा
इन्द्रपुरी साईं मंदिर रोड के अखिलेश कुमार कहते है कि इन्द्रपुरी और झण्डा चौक दो ही प्रमुख चौराहा है शहर के भीतर जो सामाजिक , सांस्कृतिक और राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र है। नगर निगम इसे सही तरीके से विकसित करे, जिसे देखकर कोई भी कहे कि यह हजारीबाग का दिल है। निगम चौराहे का विस्तार करे। लाल बहादुर शास्त्री की छोटी मूर्ति की जगह आदमकद मूर्ति लगे। सुंदर लाइट और आसपास हरियाली विकसित हो।
शास्त्री जी को नमन करने इंद्रपुरी आते रहते है मंत्री, मुख्यमंत्री और बड़े नेता
अरविंद इसी चौक पर अपनी दुकान चलाते है वे कहते है कि इस चौक पर शास्त्री जी की प्रतिमा पर उनके बेटे भी आकर उन्हें माल्यार्पण करते रहे है। केंद्रीय मंत्री,राज्य सरकार के मंत्री,कई पूर्व मुख्यमंत्री भी यहाँ आ चुके है लेकिन इसकी सूरत नही बदली। अरशद कहते है कि अल्बर्ट एक्का चौक की ही तरह इसके भी दो नाम है। मेन रोड से जुड़ा है। हाइवे का हिस्सा है। लेकिन इसकी स्थिति देखकर लगता है कि किसी कस्बे का चौक है। भोला प्रसाद कहते है कि नगर निगम में करोड़ों का बजट है लेकिन इंद्रपुरी में टूटा बदहाल डिवाइडर पर कभी ध्यान नही गया। प्रमंडलीय शहर की ऐसी दुर्दशा हास्यापद लगता है।
दो दशक से टूटा और अधूरा है डिवाइडर, घंटाें जाम में फंसते है शहर के लोग
शिक्षक सुरेंद्र प्रसाद कहते है कि राँची और हजारीबाग को एक लेआउट पर विकसित करने की योजना बनाई गई थी। लेकिन हजारीबाग पिछड़ता चला गया। इंद्रपुरी बड़ी ग्रामीण आबादी से शहर को जोड़ता है। घंटाें जाम की समस्या यहां रहती है । प्रशासन ने इस चौराहे पर कभी ट्रैफिक लाइट नही लगाया । नगर निगम की यदि सार्थक पहल होती तो बीस वर्ष से अधूरा, टूटा और उपेक्षित डिवाइडर की ओर उसका ध्यान जरूर जाता। कहा अच्छा लग रहा है कि नगर निगम अब सौंदर्यीकरण पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन महज कुछ क्षेत्रों को प्राथमिकता नहीं मिले। प्रमुख चौराहे की तो उपेक्षा होनी ही नही चाहिए।
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