युवा पुत्र रामदहिन की मौत के बाद शव को घर लाने के लिए रिम्स में एम्बुलेंस भी नही मिला। उस परिस्थिति में रोते पीटते बूढ़े माता पिता ने कई लोगों की चिरौरी की। तब दया करके रिम्स में तैनात एक गार्ड ने निजी एम्बुलेंस उपलब्ध करा कर शव के साथ बुजूर्ग दंपति को घर भेजा। जिसका किराया 5500 रुपए प्रति ग्रामीणों ने आपस में चंदा कर एम्बुलेंस वाले को दिया। अजीब तरह की बीमारी से पीड़ित परिवार बेहद गरीब है। पूरा परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। इनके पास कफ़न लेने के लिए भी पैसा नही था। भला हो ग्रामीणों का जिन्होंने आपस में चंदा कर तीनो मृतकों के शव के लिए कफ़न व शवदाह के लिए लकड़ी आदि मुहैया कराया।
पहले दो बेटी व अब एक बेटा के लिए अंतिम संस्कार का पूरा खर्च ग्रामीणों ने उठाया। इधर लोगों का कहना है कि अब सवाल उठता है कि जब इलाज ही नही करना था तो इन बुजूर्ग पति पत्नी को सदर अस्पताल गढ़वा से रिम्स क्यों रेफर किया गया। बेटे की मौत के बाद उसके शव को लेकर बुजूर्ग पति पत्नी भी वापस घर लौट गए। उधर गरीब परिवार को गांव वालों ने सहयोग किया और तीनों शवों का अंतिम संस्कार कराया। इस मौके पर समाजसेवी नरेश प्रसाद सिंह ने पांच हजार व सरकोनी पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि अरुण सिंह, गाड़ाखुर्द पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि नीरज सिंह, सांसद के प्रखंड प्रतिनिधि गुड्डू सिंह ने मृतक के परिजन को आर्थिक सहयोग प्रदान किया। उधर ग्रामीण प्रबोध सिंह, अजय कुमार सिंह, अखिलेश पांडेय, सतेन्द्र सिंह, संतु सिंह, पंकज पाण्डेय, मिंटू पांडेय, बिकास सिंह, बिनय सिंह, धीरेन्द्र पाण्डेय, लव कुमार सिंह, सिद्धि सिंह, अंजनी सिंह, अनूप पांडेय सहित कई ग्रामीणों ने तीनों शवदाह के मौके पर आपस मे चंदा कर पीड़ित परिवार को सहायता प्रदान किया। साथ ही तीनो मृतकों के अंतिम संस्कार में बढ़ चढ़ कर सहयोग व भागीदारी निभाई। खबर लिखे जाने तक पीड़ित परिवार को सरकार की ओर से अभी तक कोई सरकारी लाभ नही दिया गया था। इस मौके पर राणाडीह पंचायत के मुखिया कृष्णा दास, प्रखंड कांग्रेस अध्यक्ष जवाहर राम सहित बड़ी संख्या में महिला पुरुष उपस्थित थे।
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